मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने स्वीकार किया मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का न्योता, जानें भारत के लिए अहम है यह देश

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने पीएम नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह का न्योता स्वीकार कर लिया है। उनके राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और मालदीव के बीच संबंधों में खटास आ गई है।

Vivek Kumar | Published : Jun 8, 2024 7:19 AM IST / Updated: Jun 08 2024, 12:52 PM IST

नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी रविवार शाम को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को न्योता दिया गया था। मुइज्जू ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया है।

नवंबर 2023 में मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और मालदीव के बीच संबंधों में खटास आ गई थी। मुइज्जू को चीन समर्थक माना जाता है। उन्होंने भारत से अपने सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने को कहा था। राष्ट्रपति चुनाव में मुइज्जू ने “India Out” अभियान चलाया था। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को हराया था।

मई 2014 में नरेंद्र मोदी के पहले शपथ ग्रहण समारोह में मालदीव के तब के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन शामिल हुए थे। मुइज्जू ने उनके पदचिन्हों पर चलने का फैसला किया है। अब्दुल्ला यामीन मुइज्जू के मार्गदर्शक हैं। चार जून को मुइज्जू ने लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए चुनाव जीतने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी थी। उन्होंने X पर पोस्ट किया था, "प्रधानमंत्री, भाजपा और NDA को 2024 के आम चुनाव में लगातार तीसरी बार सफलता मिलने पर बधाई। मैं दोनों देशों के लिए साझा समृद्धि और स्थिरता के हमारे साझा हितों को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने के लिए तत्पर हूं।"

क्यों तनावपूर्ण हुए भारत-मालदीव के संबंध?

पिछले साल 18 नवंबर को मुइज्जू ने मालदीव के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लिया था। इस समारोह में भारत के प्रतिनिधि के रूप में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू शामिल हुए थे। शपथ ग्रहण के एक दिन बाद किरेन रिजिजू के साथ बैठक में मुइज्जू ने औपचारिक रूप से भारत सरकार से अपने सैन्य कर्मियों को मालदीव से वापस बुलाने का आग्रह किया था।

एक महीने बाद मुइज्जू प्रशासन ने मालदीव के जलक्षेत्र के हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण के संबंध में भारत के साथ पिछली सरकार के समझौते को आगे बढ़ने से मना कर दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनवरी 2024 की शुरुआत में लक्षद्वीप गए थे। उन्होंने 4 जनवरी को लक्षद्वीप की अपनी यात्रा की तस्वीरें व वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। इसके बाद लक्षद्वीप टॉप ट्रेंड में पहुंच गया था। लोग छुट्टी मनाने के लिए मालदीव की जगह लक्षद्वीप जाने की बात करने लगे।

इस मामले में मुइज्जू सरकार के मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के लोगों को खिलाफ आपत्तिजनक और नस्लभेदी बातें सोशल मीडिया पर पोस्ट की। इसके बाद सोशल मीडिया पर मालदीव का बाइकॉट किए जाने का आह्वान ट्रेंड करने लगा। इस मामले ने दोनों देशों के संबंधों को बहुत प्रभावित किया। मालदीव जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या भी बहुत घट गई।

भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है मालदीव?

मालदीव आकार और आबादी के मामले में छोटा देश है। इसकी अर्थव्यवस्था भी बड़ी नहीं है। हालांकि इसकी भौगोलिक स्थिति इसे बेहद अहम देश बनाती है। मालदीव हिंद महासागर में बेहद अहम जगह स्थिति है। इसके चलते इसकी रणनीतिक महत्ता ज्यादा है। यह हिंद महासागर के प्रमुख वाणिज्यिक समुद्री मार्गों के केंद्र में है।

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भारत लंबे समय से मालदीव की मदद करता आ रहा है। वहीं, चीन भी मालदीव में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। चीन ने पिछले 15 सालों में मालदीव में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव जैसी पहलों का लाभ उठाते हुए लगातार निवेश किया है। इससे भारत में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। मालदीव के साथ भारत का गठबंधन उसके समुद्री हितों की रक्षा, हिंद महासागर पर निगरानी और क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति का मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण है।

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