मिल्टन तूफान का कहर: फ्लोरिडा में 3 घंटे में 3 महीने की बारिश

सार

मिल्टन तूफ़ान ने फ्लोरिडा में तबाही मचाई, सेंट पीटर्सबर्ग में 1,000 सालों में सबसे ज़्यादा बारिश हुई। बिजली गुल, बाढ़ और कई जगहों पर बवंडर जैसी स्थिति से लोग परेशान हैं।

World News: मिल्टन तूफ़ान गुरुवार सुबह अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य के सिएस्टा की तट से टकराया। इससे फ्लोरिडा के सेंट पीटर्सबर्ग में पिछले 1 हज़ार सालों में सबसे ज़्यादा बारिश हुई है। यहां 3 घंटे में 16 इंच बारिश दर्ज की गई। आम तौर पर इस इलाके में 16 इंच बारिश होने में 3 महीने लगते हैं। मिल्टन इस साल फ्लोरिडा से टकराने वाला तीसरा तूफ़ान है। सिएस्टा की से टकराने से पहले ये श्रेणी 5 का तूफ़ान था। टकराने के बाद ये श्रेणी 3 में कमज़ोर हो गया और अब इसे श्रेणी 2 में डाउनग्रेड कर दिया गया है। इसके बावजूद, ये अभी भी बहुत ख़तरनाक है। तूफ़ान की वजह से, फ्लोरिडा के कई शहरों में 193 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से हवाएं चल रही हैं। अमेरिकी मीडिया संस्थान CNN के मुताबिक, फ्लोरिडा में करीब 10 लाख लोग बिना बिजली के रहने को मजबूर हैं। 20 लाख लोग बाढ़ के ख़तरे से जूझ रहे हैं। हालात इतने ख़राब हैं कि कुछ इलाकों में लोगों की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को सुरक्षित जगहों पर लौटने का आदेश दिया गया है।

तूफ़ान के साथ कई बवंडर: फ्लोरिडा के कई शहरों में आपातकाल की घोषणा की गई है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, तूफ़ान के साथ-साथ, कई बवंडर और उनसे हुए नुकसान की खबरें भी आ रही हैं। इस बीच, NYT के मुताबिक, अटलांटिक महासागर में एक और तूफ़ान 'लेस्ली' बन रहा है। हालांकि, इसके अमेरिका तक पहुंचने की संभावना बहुत कम है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, मिल्टन तूफ़ान से अमेरिका को 8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।

पानी को भी खींच रहा तूफ़ान: ज़बरदस्त बारिश की वजह से फ्लोरिडा के कई इलाके पानी में डूब गए हैं। वहीं, टाम्पा बे में बिल्कुल उल्टा हुआ है। दरअसल, तूफ़ानी हवाएं बारिश के पानी को अपने साथ खींचकर ले जा रही हैं। इससे वहां के लोगों को बाढ़ से राहत मिल रही है। इससे पहले, हेलेन तूफ़ान की वजह से फ्लोरिडा में 200 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई थी। अमेरिका के 12 से ज़्यादा राज्य हेलेन तूफ़ान से प्रभावित हुए थे। फ्लोरिडा पर भी इसका ज़्यादा असर पड़ा था।

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टाइफून, तूफ़ान और बवंडर में क्या अंतर है?: तूफ़ान, वातावरण में होने वाली एक तरह की गड़बड़ी है। इसमें तेज़ हवाएं और बारिश, बर्फ़ या ओले पड़ते हैं। ज़मीन पर आने वाले तूफ़ानों को आम तूफ़ान या स्टॉर्म कहते हैं, जबकि समुद्र से उठने वाले तूफ़ानों को हरिकेन कहते हैं। हरिकेन, स्टॉर्म से ज़्यादा ख़तरनाक होते हैं।

तूफ़ान, साइक्लोन और टाइफून एक ही चीज़ हैं। दुनिया भर में साइक्लोन को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे, उत्तरी अमेरिका और कैरिबियाई द्वीपों में बनने वाले तूफ़ानों को हरिकेन कहते हैं, फिलीपींस, जापान और चीन में आने वाले तूफ़ानों को टाइफून और ऑस्ट्रेलिया और भारत, हिंद महासागर के आसपास आने वाले तूफ़ानों को साइक्लोन कहते हैं। महासागरों के संदर्भ में, अटलांटिक और उत्तर-पश्चिम महासागरों में बनने वाले तूफ़ानों को हरिकेन कहा जाता है। उत्तर-पश्चिम प्रशांत महासागर में उठने वाले तूफ़ानों को टाइफून कहा जाता है।

दक्षिण प्रशांत महासागर और हिंद महासागर में उठने वाले तूफ़ानों को साइक्लोन कहा जाता है। इसलिए भारत के आसपास के इलाकों में आने वाले समुद्री तूफ़ानों को साइक्लोन ही कहा जाता है। बवंडर भी तेज़ तूफ़ान होते हैं, लेकिन ये हरिकेन नहीं होते क्योंकि ये ज़्यादातर समुद्र की बजाय ज़मीन पर बनते हैं। ज़्यादातर बवंडर अमेरिका में आते हैं।

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