बांग्लादेश की राजधानी ढाका में स्थित इस्कॉन राधाकांत मंदिर पर गुरुवार की रात भीड़ ने हमला किया था। इस मामले में मंदिर के चिकित्सा प्रभारी रसमणि केशवदास ने कहा है कि स्थानीय पुलिस हमलावरों का समर्थन कर रही है।
ढाका। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में स्थित इस्कॉन राधाकांत मंदिर (ISKCON Radhakanta Temple) पर गुरुवार की रात भीड़ ने हमला किया था। घटना के दो दिन बाद भी पुलिस एक भी हमलावर को गिरफ्तार नहीं कर पाई। इसके चलते पुलिस पर हमलावरों का समर्थन करने के आरोप लग रहे हैं।
इस्कॉन मंदिर ढाका के चिकित्सा प्रभारी रसमणि केशवदास ने कहा कि हमें मंदिर छोड़ने की धमकी मिली थी। 500-600 लोगों ने मंदिर पर हमला किया। स्थानीय पुलिस हमला करने वालों का समर्थन कर रही है। वो हमारी बात नहीं सुन रही। हमने केस दर्ज कराया, लेकिन अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया। हमें अभी तक धमकी मिल रही है। पहले हमें पुलिस संरक्षण अच्छा नहीं मिला था बाद में उच्च पदाधिकारियों को बोला गया तब हमें अभी थोड़ा पुलिस संरक्षण मिला है। अब यहां पुलिस के 10 जवान लगातार रह रहे हैं।
बांग्लादेश इस्कॉन मंदिर की घटना पर कोलकाता इस्कॉन के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने कहा कि बांग्लादेश सरकार ने 10-12 पुलिसकर्मियों को मंदिर परिसरों में भेजा है, लेकिन हम कह रहे हैं कि कब तक पुलिस को रखकर हम पूजा करेंगे। ये पहली बार नहीं हुआ है। 2015 में भी ऐसी ही घटना घटी थी। जो भी हो रहा है बेहद गलत है।
विरोध करने वालों को बर्बरता से पीटा गया
ढाका की स्थानीय मीडिया की खबरों में बताया गया है कि यह वारदात ढाका के वारी में 222 लाल मोहन साहा स्ट्रीट स्थित इस्कॉन राधाकांता मंदिर में हुई। मंदिर में हाजी सैफुल्लाह और उसके साथियों ने हमला किया और तोड़फोड़ की। इस हमले में निहार हल्दार, सुमंत्रा चंद्र श्रवण और राजीव भद्र के अलावा कई अन्य हिंदू श्रद्धालु जख्मी हुए। इससे पहले भी त्योहारों के मौकों पर बांग्लादेश के हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया जाता रहा है। पिछले साल नवरात्र पर बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ अफवाह फैलाई गई और कई दुर्गा पूजा पंडालों पर हमले किए गए थे। हिंदुओं के घरों में भी तोड़फोड़ की गई थी। विरोध करने वालों को बर्बरता से पीटा गया था। तब भी इस्कॉन मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी।
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बांग्लादेश में हिंदुओं पर 9 साल में 3600 से ज्यादा हमले
2013 में भी इसी तरह मार्च के महीने में हिंदू मंदिर को निशाना बनाया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले 9 साल में बांग्लादेश में हिंदुओं को 3,679 बार इस तरह के हमलों का शिकार होना पड़ा। इस दौरान 1,678 धार्मिक स्थलों में तोड़फोड़ की गई। कट्टरपंथियों ने हिंदुओं के घरों, मंदिर और संपत्तियों को निशाना बनाया।
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