सार
World Happiness Report: संयुक्त राष्ट्र की हाल में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान दुनिया के सबसे ज्यादा दु:खी देश बन गया है। वहीं, पिछले बार की तुलना में भारत की स्थिति में कुछ सुधार हुआ है। चूंकि रिपोर्ट रूस के यूक्रेन पर हमले से पहले तैयार हो गई थी, इसलिए लिस्ट में वो शामिल नहीं हो पाया। जानिए क्या कहती है यूनाइटेड नेशंस के एनुअल हैप्पीनेस इंडेक्स...
नई दिल्ली. World Happiness Report: संयुक्त राष्ट्र की हाल में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान दुनिया के सबसे ज्यादा दु:खी देश बन गया है। यहां यूनिसेफ ने चेतावनी दी है अगर इस देश को मदद न मिली, तो 10 लाख बच्चे भूख से मर जाएंगे। वहीं, पिछले बार की तुलना में भारत की स्थिति में कुछ सुधार हुआ है। जानिए क्या कहती है यूनाइटेड नेशंस के एनुअल हैप्पीनेस इंडेक्स...
भारत लिस्ट में अब 136वें नंबर पर
दुनिया के सबसे खुशहाल देशों की लिस्ट में भारत की पोजिशन में सुधार हुआ है। अब यह 136वें नंबर पर आ गया है। जबकि पिछली बार भारत की रैंकिंग 139 थी। दुनिया का सबसे खुशहाल देश फिनलैंड है। करीब 60 लाख की आबादी वाला फिनलैंड पिछले 5 साल से पहले नंबर पर है। यूनाइटेड नेशंस के एनुअल हैप्पीनेस इंडेक्स के मुताबिक, सबसे खराब स्थिति तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान की है। यह दुनिया का बसे ज्यादा नाखुश कहें या दु:खी देश है। इस लिस्ट में अमेरिका 16वें और पाकिस्तान 121वें नंबर पर है। अफगानिस्तान में अगस्त, 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद अमेरिका सहित कई देशों ने आर्थिक पाबंदियां लगा दी हैं, जिससे हालत बिगड़ गए हैं।
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूनीसेफ ने चिंता जताई है कि अगर अफगानिस्तान को सहायता न मिली, तो यहां तो पांच साल से कम उम्र के करीब दस लाख बच्चे भूख की वजह से दम तोड़ देंगे।
इन देशों की स्थिति भी जानें
सर्बिया, बुल्गारिया और रोमानिया की रैंकिंग सुधरी है। इसकी वजह यहां के लोगों के हालात और स्वास्थ्य में पहले की अपेक्षा सुधार हुआ है। लेकिन लेबनान, वेनेजुएला और अफगानिस्तान में लोगों की हालत पहले की अपेक्षा और खराब हो गई है। जिम्बाब्वे और लेबनान में घोर आर्थिक मंदी के चलते देश की हालत खराब है। वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट के लेखकों में से एक जान इमैनुएल डी नेवे के मुताबिक ‘यह सूचकांक संबंधित देशों के लिए एक रिमाइंडर है।
ऐसे तैयार होती है रिपोर्ट
रिपोर्ट संबंधित देशों में सामाजिक और आर्थिक आंकड़ों की मदद से तैयार होती है। पिछले 10 सालों से यह सालाना रिपोर्ट बनती आ रही है। इसमें बीते तीन सालों के औसत डेटा के आधार पर शून्य से लेकर 10 अंक तक के पैमाने पर गणना होती है। इसमें देश के लोगों की सामाजिक, आर्थिक और अन्य सुविधाओं का आकलन होता है।