
India China Russia Strategic Partnership: विदेश सचिव विक्रम मिस्री के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के SCO शिखर सम्मेलन में भारत का दृष्टिकोण साझा किया और रूस के राष्ट्रपति पुतिन से द्विपक्षीय बैठक की। यह यात्रा भारत-चीन-रूस रणनीतिक साझेदारी को नए आयाम देने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। सीमा स्थिरता, व्यापार संतुलन, आतंकवाद से सुरक्षा और वैश्विक सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने SCO शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र में भारत के क्षेत्रीय सहयोग के दृष्टिकोण को रेखांकित किया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत और चीन प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि सहयोगी राष्ट्र हैं। मोदी ने एशियाई सदी और बहुध्रुवीय विश्व के विज़न के लिए भारत-चीन सहयोग पर जोर दिया।
मिस्री के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन के बाद पुतिन से महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक की। इसमें भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी, वैश्विक सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग पर चर्चा हुई। इस बैठक से यह संकेत मिलता है कि भारत-चीन-रूस त्रिपक्षीय सहयोग क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक मंच पर नई दिशा ले सकता है।
विदेश सचिव ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक की, जिसमें सीमा स्थिरता, व्यापार संतुलन और आतंकवाद पर चर्चा हुई। शी जिनपिंग ने चार सूत्री प्रस्ताव दिया:
प्रधानमंत्री मोदी ने इन सभी बिंदुओं पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और भारत-चीन सहयोग के भविष्य के लिए सहमति जताई।
मिस्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग ने द्विपक्षीय व्यापार संतुलन, सीमा पार नदियों पर सहयोग और आपसी निवेश पर विचार साझा किया। मोदी ने चीन को 2026 में भारत द्वारा आयोजित BRICS शिखर सम्मेलन का निमंत्रण दिया, जिसे शी जिनपिंग ने स्वीकार किया।
विदेश सचिव के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने LAC पर शांति और स्थिरता बनाए रखने का महत्व रेखांकित किया। दोनों देशों ने पिछले एक साल में सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सफल सैन्य वापसी का उल्लेख किया। सीमा पार आतंकवाद पर भी चर्चा हुई और दोनों पक्ष सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए।
मिस्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने म्यांमार के वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग से मुलाकात कर शांति और स्थिरता के लिए संवाद पर जोर दिया। भारत ने अपनी पड़ोसी पहले और एक्ट ईस्ट नीति के तहत विकास परियोजनाओं और संपर्क परियोजनाओं का महत्व रेखांकित किया।
विदेश सचिव ने बताया कि अमेरिकी टैरिफ जैसी वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद, मोदी और शी ने द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया। भारत और चीन ने व्यापार घाटे और निवेश संतुलन के दीर्घकालिक समाधान के लिए चर्चा जारी रखने पर सहमति जताई।
मिस्री ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी ने दोनों देशों के दीर्घकालिक विकास और प्रगति के लिए अपने दृष्टिकोण साझा किए। प्रतिद्वंद्विता की बजाय साझेदारी पर आधारित रणनीति ही भविष्य के सहयोग का मार्गदर्शन करेगी।”
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