वर्ल्ड बैंक के कार्यक्रम में हाउ बिहेवियरल चेंज कैन टैकल क्लाइमेट चेंज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हर व्यक्ति की भागीदारी से पर्यावरण की रक्षा में मदद मिलेगी।
वाशिंगटन। वाशिंगटन में आयोजित वर्ल्ड बैंक और IMF के Spring Meetings को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने LiFE मिशन अपने विचार शेयर किए।
पीएम के कहा, "विश्व बैंक ने लोगों के व्यवहार से पर्यावरण की किस तरह रक्षा हो सकती है इसपर विचार के लिए बैठक आयोजित किया है। यह मेरे लिए बहुत खुशी की बात है। यह मुद्दा मेरे दिल के करीब है। इसे वैश्विक आंदोलन बनता देखना सुखद है।"
मिलकर काम करने से होता है बड़ा असर
नरेंद्र मोदी ने कहा, "भारत के महान दार्शनिक चाणक्य ने दो हजार साल पहले लिखा था कि पानी की छोटी बूंदें जब एक साथ आती हैं तो बर्तन भरती हैं। इसी तरह ज्ञान, अच्छाई और धन धीरे-धीरे बढ़ते हैं। पानी की हर एक बूंद भले बहुत अधिक नहीं दिखती हो, लेकिन जब ये एक साथ आती हैं तो असर डालती हैं। इसी तरह धरती की रक्षा के लिए किया गया एक अच्छा काम महत्वपूर्ण होता है, लेकिन जब दुनियाभर में करोड़ों ऐसे काम होते हैं तो बहुत बड़ा असर दिखता है।"
2015 में संयुक्त राष्ट्र में की थी व्यवहार परिवर्तन की बात
पीएम ने कहा कि हम मानते हैं कि हमारे ग्रह की भलाई के लिए लोगों द्वारा लिए गए अच्छे फैसले पर्यावरण की रक्षा के लिए बेहद अहम हैं। यह मिशन LiFE का मूल मंत्र है। 2015 में संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली में मैंने व्यवहार परिवर्तन की जरूरत के बारे में बात की थी। अक्टूबर 2022 में UN सेक्रेटरी जनरल और मैंने मिशन LiFE लॉन्च किया था।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण परिवर्तन के क्षेत्र के एक्सपर्ट्स ने भी इस मंत्र को अपनाया है। दुनियाभर में लोग क्लाइमेट चेंज के बारे में बहुत कुछ सुनते हैं। इनमें से बहुत लोग इसके बारे में चिंतित होते हैं, लेकिन वे नहीं जानते कि इस दिशा में खुद क्या कर सकते हैं। वे यह सोचते हैं कि सिर्फ सरकारें और सरकारी संस्थाएं इसके लिए काम करेंगी। जब उन्हें पता चलता है कि वे भी पर्यावरण की रक्षा में योगदान दे सकते हैं तो उनकी चिंता कार्रवाई में बदल जाती है।
सिर्फ कॉन्फ्रेंस टेबलों पर नहीं लड़ी जा सकती क्लाइमेंट चेंज के खिलाफ लड़ाई
मोदी ने कहा कि क्लाइमेंट चेंज के खिलाफ लड़ाई सिर्फ कॉन्फ्रेंस टेबलों पर नहीं लड़ी जा सकती। इसे हर घर के खाने की मेज पर लड़ना होगा। जब आइडिया डिस्कशन टेबल से डिनर टेबल तक जाता है तो जन आंदोलन बनता है।
उन्होंने कहा कि मिशन LiFE पर्यावरण की रक्षा के लिए लड़ी जा रही लड़ाई में आमलोगों की भागीदारी है। जब लोग सचेत होते हैं तो उनके रोजाना के जीवन में किए गए सरल काम से पर्यावरण पर बहुत पॉजिटिव असर पड़ता है। इस लड़ाई में जन आंदोलन और लोगों के व्यवहार में बदलाव जरूरी है। भारत के लोगों ने पिछले कुछ सालों में इस दिशा में बहुत काम किया है। इससे भारत के बहुत से हिस्सों में लिंगानुपात में सुधार हुआ है।
लोगों ने बड़े स्वच्छता अभियान चलाए हैं। नदियों और तालाबों की सफाई की है। लोगों ने एलईडी बल्ब अपनाया है। करीब 370 मिलियन एलईडी बल्ब भारत में बेचे गए हैं। इससे हर साल करीब 39 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन रोकने में मदद मिली है। भारत के किसानों ने करीब 700 हजार हेक्टेयर खेती की जमीन पर माइक्रो इरिगेशन को अपनाया है। वे पर ड्रॉप मोर क्रॉप के मंत्र पर चल रहे हैं। इससे बहुत अधिक पानी की बचत हुई है। ऐसे बहुत से उदाहरण है।