NASA Alert: धरती की ओर बढ़ रहा विमान के आकार का एस्ट्रोइड, जानें क्या है स्पीड, कब पास पहुंचेगा

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने विमान के आकार के क्षुद्रग्रह को लेकर अलर्ट जारी किया है। यह 23 जून 2024 को भारतीय समय अनुसार 11:39 PM पर पृथ्वी के करीब पहुंचेगा। इसकी रफ्तार 16,500 किलोमीटर प्रति घंटा है।

नई दिल्ली। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक विमान के आकार के क्षुद्रग्रह (Asteroid) को लेकर चेतावनी जारी की है। इसका नाम 2024 KN1 है। यह 23 जून 2024 को 18:09 UTC बजे (भारतीय समय अनुसार 11:39 PM) पर पृथ्वी के करीब पहुंचेगा।

क्षुद्रग्रह 2024 KN1 क्षुद्रग्रहों के एमोर समूह से है। इसका आकार किसी विमान जितना बड़ा है। करीब 88 फीट का यह क्षुद्रग्रह लगभग 16,500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। यह पृथ्वी के सबसे करीब 5.6 मिलियन किलोमीटर की सुरक्षित दूरी पर होगा। यह दूरी पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से लगभग 14 गुना अधिक है।

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क्या क्षुद्रग्रह 2024 KN1 से धरती पर जीवन को है खतरा?

NASA ने इस क्षुद्रग्रह को गैर-खतरनाक बताया है। यह इतना करीब नहीं आएगा कि किसी भी तरह के प्रभाव का खतरा पैदा हो। क्षुद्रग्रह 2024 KN1 जैसी अधिकांश पृथ्वी के निकट की वस्तुएं ऐसी कक्षाओं में घूमती है जो हमारे ग्रह के बहुत करीब नहीं आतीं। इससे इनके धरती पर गिरने का खतरा नहीं होता। हालांकि क्षुद्रग्रहों का एक छोटे से हिस्सा जिसे संभावित रूप से खतरनाक माना जाता है की निगरानी की जरूरत होती है। इनकी कक्षाएं उन्हें पृथ्वी के करीब ला सकती हैं, जिससे उनके टकराने का खतरा पैदा होता है।

नासा के सेंटर फॉर नियर अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज (CNEOS) द्वारा इन क्षुद्रग्रहों की लगातार निगरानी की जाती है। इसके लिए दुनिया भर की वेधशालाओं (observatories) से डेटा लिया जाता है। फिलहाल क्षुद्रग्रह 2024 KN1 सुरक्षित रूप से पृथ्वी के पास से गुजरेगा। वैज्ञानिकों को इसका अध्ययन करने का अवसर मिलेगा।

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क्या हैं क्षुद्रग्रह?

क्षुद्रग्रह अंतरिक्ष में मौजूद छोटे, चट्टानी, वायुहीन अवशेष हैं। ये लगभग 4.6 अरब वर्ष पहले हमारे सौर मंडल के प्रारंभिक निर्माण से बचे हुए हैं। उन्हें कभी-कभी छोटे ग्रह कहा जाता है। वे मुख्य रूप से मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के बीच एक लगभग सपाट वलय में सूर्य की परिक्रमा करते हैं। इसे क्षुद्रग्रह बेल्ट कहा जाता है। क्षुद्रग्रह न तो सच्चे ग्रह हैं और न ही धूमकेतु हैं। उनका कोई वायुमंडल नहीं होता।

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