इजरायल ने मानव विकास के क्षेत्र में नई उपलब्धि हासिल की है। जेनेटिकली ट्रांसफर होने वाली गंभीर रोगियों की स्वस्थ वंशावली के लिए इजरायल के वैज्ञानिकों ने माइक्रोचिप से स्पर्म निर्माण की विधि खोज ली है।
नेगेव। इजरायल ने मानव विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। नेगेव (Negev) के बेन-गुरियन यूनिवर्सिटी (Ben-Gurion University) के वैज्ञानिकों के एक समूह ने एक माइक्रोचिप को बनाया है जिससे माइक्रोफ्लुइडिक सिस्टम (microfluidic system) से स्पर्म (sperm culture by microchip) बनाया जा सकता है। यह कैंसर पीड़ित उन बच्चों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा जो एग्रेसिव कीमोथेरेपी से गुजरने की वजह से आगे चलकर बांझ हो जाते हैं। सिलिकॉन चिप शुक्राणु बनाने और वंशावली को आगे बढ़ाने के लिए काफी उपयोगी साबित होगा।
क्यों बनाया माइक्रोफ्लुइडिक प्रणाली से चिप?
बेन-गुरियन विश्वविद्यालय में हेल्थ साइंस फैकल्टी में Shraga Segal विभाग के माइक्रोबायोलॉजी, इम्यूनोलॉजी और जेनेटिक्स के प्रो महमूद हुलेहेल के अनुसार, शुक्राणु कोशिकाओं के उत्पादन की एक विधि खोजने की इसलिए आवश्यकता थी ताकि भविष्य में स्वस्थ मनुष्य का जन्म हो सके। कैंसर रोगी के शरीर में कैंसर कोशिकाओं की संभावित वापसी की आशंका बनी रहती है। यह मनुष्य की अगली पीढ़ी में भी ट्रांसफर हो जाती है। लेकिन नए प्रयोग से रोगी के शरीर में कैंसर कोशिकाओं की संभावित वापसी जैसी सीमाओं को दरकिनार कर देती है।
कैसे हुआ इनोवेशन?
अध्ययन करते समय वैज्ञानिकों ने पाया कि युवा चूहे जो अभी तक शुक्राणु कोशिकाओं का उत्पादन नहीं करते हैं। वह अंडकोष में शुक्राणु कोशिकाओं के विकास की नकल करते हैं। इसी तरह लैब्स में प्राकृतिक वातावरण की तरह लैब के वातावरण में भी टेस्टीकुलर सेल्स को कल्चर कराया जा सकता है जिससे यह अधिक से अधिक विकसित हो सकता है। अध्ययन के लिए डिज़ाइन की गई एक विशेष चिप का उपयोग करके, एक पूर्ण 3D प्रणाली का निर्माण किया गया था, जिसमें माइक्रोफ्लुइडिक चैनल शामिल थे जो वृद्धि कारकों, अंडकोष से कोशिकाओं, या शरीर के ऊतकों से किसी भी अन्य कोशिकाओं को जोड़ने की अनुमति देते हैं।
प्रो.हुलेहेल ने बताया कि यह रिसर्च स्पर्म कोशिकाओं के निर्माण की प्रक्रिया में एक नई क्रांति लाएगा। यह बांझ पुरुषों के लिए भविष्य की चिकित्सीय रणनीतियों में माइक्रोफ्लुइडिक-आधारित प्रौद्योगिकियों के कार्यान्वयन को सक्षम बनाता है। कीमोथेरेपी / रेडियोथेरेपी उपचार से गुजर रहे बच्चों के लिए प्रजनन क्षमता के संरक्षण में जो यौवन में उनकी प्रजनन क्षमता को कम कर सकते हैं। इसके अलावा, यह प्रणाली पुरुष प्रजनन क्षमता पर दवाओं और विषाक्त पदार्थों के प्रभाव की जांच के लिए एक अभिनव मंच के रूप में भी काम कर सकती है।
इस रिसर्च में कौन-कौन शामिल हैं?
इस रिसर्च में नेगेव और सोरोका मेडिकल सेंटर के बेन-गुरियन विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य विज्ञान फैकल्टी से प्रो. एमेरिटस ईटन लुनेनफेल्ड, मैकेनिकल इंजीनियरिंग संकाय से प्रो. गिलाद योसिफॉन के अलावा पीएचडी स्टूडेंट्स अली अबू मदीघेम, शोलोम शुचत आदि शामिल रहे।
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