प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बैंच ने भारतीय इतिहास की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण व्यवस्था के साथ ही करीब 130 साल से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का अंत कर दिया।
वॉशिंगटन: भारतीय अमेरिकी समुदाय ने अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि विवादित भूमि के दशकों पुराने मामले पर आए फैसले में हिंदू-मुस्लिम दोनों की जीत हुई है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित स्थल राम जन्मभूमि पर मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करते हुए केन्द्र सरकार को निर्देश दिया कि ‘सुन्नी वक्फ बोर्ड’ को मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ भूमि आवंटित की जाए। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बैंच ने भारतीय इतिहास की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण व्यवस्था के साथ ही करीब 130 साल से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का अंत कर दिया। इस विवाद ने देश के सामाजिक ताने बाने को तार तार कर दिया था।
अमेरिकी मंत्रालयों ने सराहा इस फैसले को
फैसले के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा , ‘‘ हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य भारतीय नेताओं द्वारा सभी दलों के शांति बनाए रखने और भड़काऊ बयानबाजी से बचने संबंधी बयानों की सराहना करते हैं।’’ वहीं ‘हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन’ (एचएएफ) ने कहा, ‘‘ भारतीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला हिंदुओं और मुसलमानों के लिए बराबर जीत है, साथ ही यह पुरातत्वविदों, इतिहासकारों और भारतीय कानूनी प्रणाली की भी जीत है। ’’ अमेरिका में मुस्लिम अमेरिकी समूहों की ओर से तत्काल इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। ‘फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज’ (एफआईआईडीएस) ने कहा, ‘‘ यह संतुलित निर्णय भविष्य के सभी विवादों के लिए मिसाल कायम करता है और एक शांत, एकत्र और निष्पक्ष तरीके से चुनौतीपूर्ण स्थितियों को हल करने की भारतीय न्यायिक प्रणाली की परिपक्वता को दर्शाता है।’’
एफआईआईडीएस ने एक बयान में अयोध्या राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला सुनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया अदा किया। एफआईआईडीएस ने कहा, ‘‘ हम सुप्रीम कोर्ट के बेहद संतुलित फैसले का स्वागत करते हैं, जिसमें उसने पूरी भूमि हिंदुओं को दे दी और मस्जिद के लिए अलग से जमीन आवंटित करने को कहा। ’’