पैटोंगटार्न शिनावात्रा चुनी गईं थाईलैंड की नई PM, जानें खास बात

Published : Aug 16, 2024, 11:29 AM ISTUpdated : Aug 16, 2024, 12:16 PM IST
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सार

थाईलैंड में नई सरकार बन गई है। फू थाई पार्टी की नेता पैटोंगटार्न शिनावात्रा देश की नई प्रधानमंत्री चुनी गई हैं। वह देश में अब तक की सबसे युवा प्रधानमंत्री हैं।  

वर्ल्ड न्यूज। फू थाई पार्टी की नेता पैटोंगटार्न शिनावात्रा थाईलैंड की नई प्रधानमंत्री चुनी गई हैं। वह देश की 31वीं प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालेंगी। इसके साथ ही वह अब तक की सबसे युवा नेता भी हैं। नैतिकता के उल्लंघन मामले में कोर्ट के निर्णय के बाद पूर्व प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन को हाल ही में हटा दिया गया था। शुक्रवार को संसदीय वोट में सांसदों ने शिनावात्रा को देश का पीएम चुना है।

37 साल की उम्र में देश की कमान
पैटोंगटार्न शिनावात्रा थाईलैंड के इतिहास में दूसरी महिला प्रधानमंत्री होंगी। इसके साथ ही वह अपने परिवार की तीसरे नेता हैं जो प्रधानमंत्री के रूप में चुनी गई हैं। सांसदों के वोट थाई राजनीति में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका और स्थान को और मजबूत करता है। नवनिर्वाचित पीएम के पिता थाकसिन शिनावात्रा और उनकी चाची यिंगलक शिनावात्रा भी इस महत्वपूर्ण पद पर रह चुकी हैं।

पढ़ें थाईलैंड के PM सेरेथा थाविसिन को पद से हटाया, जानें क्या है वजह

314 सांसदों ने दिया पेटोंगटार्न को समर्थन
पेटोंगटार्न फू थाई पार्टी की प्रभावशाली नेता हैं। वह 11 पार्टियों के गठनबंधन का नेतृत्व कर रही हैं। उनके समर्थन में 314 सांसद हैं। प्रधानमंत्री चुनाव के लिए सभी सांसदों ने सर्वसम्मति से पेटोंगटार्न के नामांकन का   सरकार बनाने के लिए कम से कम 247 मतों की जरूरत होती है। पीएम के लिए चुने जाने पर सभी नेताओं ने उन्हें बधाई भी दी। 

पूर्व पीएम थाकसिन शिनावात्रा की बेटी हैं पेटोंगटार्न
थाइलैंड की नई चयनित पीएम पेटोंगटार्न का राजनीति बैकग्राउंड भी काफी प्रभावशाली रहा है। वह पूर्व पीएम ताकसिन शिनावात्रा की बेटी हैं। कुछ विवादों के साथ उनका राजनीतिक करिअर भी शानदार रहा है। वह देश की लोकप्रिय नेताओं में भी शामिल हैं। राजनीतिक विरासत के बाद भी उन्होंने अपनी स्वतंत्र पहचान बनाई। उन्होंने अपने एक बयान में कहा था, मैं अपने पिता की बेटी हूं, हमेशा रहूंगी, लेकिन मेरे अपने फैसले हैं।

पॉलिटिकल एक्सपर्ट का कहना है कि पैटोंगटार्न के पीएम बनने से गठबंधन की एकता को मजबूती मिल सकती है। इसके साथ जो भी गुटबाजी दलों के बीच चल रही है, वह भी कम होने की संभावना रहेगी। 

 

 

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