बर्बाद पाकिस्तान की मदद को आगे आया आईएमएफ, बेलआउट पैकेज की अवधि बढ़ाने के साथ लोन किया 8 बिलियन यूएसडी

Pakistan व IMF के बीच हुए समझौता के बाद इस देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ सकती है। माना जा रहा है कि शहबाज शरीफ के लिए यह समझौता एक राहत भरा  सौदा होगा।  
 

इस्लामाबाद। नकदी की तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने रुके हुए बेलआउट पैकेज को एक साल तक बढ़ाने और कर्ज का आकार बढ़ाकर 8 अरब डॉलर करने पर सहमति जताई है। इस फैसले से पाकिस्तान के प्रधाानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली नई सरकार को राहत मिलने की उम्मीद है। पाकिस्तान के नवनियुक्त वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल और आईएमएफ के उप प्रबंध निदेशक एंटोनेट सईह के बीच वाशिंगटन में एक महत्वपूर्ण बातचीत के बाद समझौता हुआ है।

नौ महीना से एक साल की अवधि तक बढ़ा बेलआउट पैकेज

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आईएमएफ ने सहमति व्यक्त की है कि कार्यक्रम को सितंबर 2022 की मूल समाप्ति अवधि से करीब नौ महीना से एक वर्ष तक बढ़ाया जाएगा। ऋण को अब दो अरब यूएसडी और बढ़ा दिया जाएगा। यानी छह अरब यूएस डॉलर से बढ़ाकर लोन अब 8 अरब यूएस डॉलर का हो जाएगा। आईएमएफ सोमवार को इस समझौते के संबंध में बयान जारी कर सकता है।

आईएमएफ ने रोक दी थी बेलआउट पैकेज

दरअसल, इमरान खान सरकार की वजह से आईएमएफ ने छह बिलियन यूएस डॉलर के बेलआउट पैकेज को रोक दिया था। शहबाज शरीफ के सत्ता संभालने के बाद, नवनियुक्त मंत्री इस्माइल पिछले इमरान खान शासन द्वारा रोके गए 6 बिलियन अमरीकी डालर के बेलआउट पैकेज पर फिर से बातचीत करने के लिए वाशिंगटन में थे। आईएमएफ टीम के साथ बैठक में वित्त राज्य मंत्री डॉ आयशा गौस पाशा, स्टेट बैंक के निवर्तमान गवर्नर डॉ रेजा बाकिर, वित्त सचिव हामिद याकूब शेख और विश्व बैंक में पाकिस्तान के कार्यकारी निदेशक नवीद कामरान बलूच ने भी भाग लिया।

2019 में इमरान खान सरकार ने साइन किया था समझौता पत्र

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सरकार और आईएमएफ ने 6 बिलियन अमरीकी डालर के कुल मूल्य के साथ 39 महीने की विस्तारित फंड सुविधा (जुलाई 2019 से सितंबर 2022) पर हस्ताक्षर किए थे। हालांकि, पिछली सरकार अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रही और यह कार्यक्रम अधिकांश समय तक रुका रहा क्योंकि 3 बिलियन अमरीकी डालर का भुगतान नहीं किया गया था।

पाकिस्तान की बर्बाद अर्थव्यवस्था को मिलेगी राहत

नकदी की तंगी से जूझ रहा पाकिस्तान राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है और आईएमएफ कार्यक्रम में मूल अवधि से अधिक समय तक बने रहने के फैसले से आर्थिक नीतियों में स्पष्टता आएगी और बाजार में हलचल शांत होगी।

फंड जारी करना देश की कमजोर अर्थव्यवस्था के लिए एक स्वागत योग्य उपाय होगा, जो विदेशी मुद्रा भंडार (10.8 बिलियन अमरीकी डालर) और चालू खाता घाटे के संकट से जूझ रहा है। विस्तारित कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के लिए, एक आईएमएफ मिशन 10 मई से पाकिस्तान का दौरा करेगा। आईएमएफ टीम का नेतृत्व उसके नए मिशन प्रमुख नाथन पोर्टर करेंगे।

पाकिस्तान को करना होगा यह काम

कार्यक्रम के आकार और नकद सीमा को बढ़ाने के लिए औपचारिक रूप से आईएमएफ की मंजूरी हासिल करने से पहले, सरकार को यह दिखाना होगा कि वह आवश्यक सख्त नीतिगत निर्णय लेने में ईमानदार है। सूत्रों ने कहा कि आईएमएफ ने पाकिस्तान से ईंधन और बिजली सब्सिडी वापस लेने के लिए कहा था जिसकी घोषणा पूर्व प्रधान मंत्री खान ने 28 फरवरी को राजकोषीय विवेक के लिए पूर्ण अवहेलना और देश में दोहरे अंकों की मुद्रास्फीति के कारण खोया समर्थन हासिल करने के लिए की थी।

वित्त मंत्री इस्माइल ने पिछले हफ्ते कहा है कि सरकार पेट्रोल पर 21 रुपये प्रति लीटर और हाई स्पीड डीजल पर 51.54 रुपये प्रति लीटर सब्सिडी दे रही है कि अकेले अप्रैल महीने में करदाताओं को 68 अरब रुपये का नुकसान होगा। कार्यक्रम को पुनर्जीवित करने के लिए इन सब्सिडी को वापस लेना होगा।

पाकिस्तान पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट में, आईएमएफ ने देश के केंद्रीय बैंक के लगभग 4.8 प्रतिशत के अनुमान के मुकाबले 4 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि की भविष्यवाणी की है। बुधवार को, इस्माइल ने देश के वित्त मंत्री के रूप में अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि आईएमएफ ने बेलआउट पैकेज को फिर से लागू करने के लिए मांगों की एक सूची सामने रखी थी। इनमें ईंधन सब्सिडी को वापस लेना, टैक्स माफी योजना को खत्म करना, बिजली की दरें बढ़ाना और अतिरिक्त कराधान उपाय लागू करना शामिल है। खान द्वारा सत्ता से बेदखल किए जाने से कुछ दिन पहले ईंधन और बिजली पर सब्सिडी लागू की गई थी। वर्तमान सरकार के लिए एक रोलबैक एक कठिन काम होगा, खासकर ऐसे समय में जब पाकिस्तान की उपभोक्ता मुद्रास्फीति मार्च के महीने में 12.7 प्रतिशत थी।

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