
इस्लामाबाद। पाकिस्तान (Pakistan) में फौजें देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने की बजाय यहां की जमीनों का अधिग्रहण कर उसपर बिजनेस कर रही हैं। सु्प्रीम कोर्ट (Supreme Court of Pakistan) ने सेना को जोरदार फटकार लगाई है और जमीन का इस्तेमाल बिजनेस के लिए करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
क्या कहा पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट ने?
चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान (CJP) गुलजार अहमद (Gulzar Ahmad) की बेंच सेना के मामले में सुनवाई कर रही है। मंगलवार को चीफ जस्टिस गुलजार अहमद ने सेना को दो टूक कहा कि आपको सरकारी जमीन रक्षा संबंधी कार्यों के लिए दी गई है। अगर इसका इस्तेमाल बिजनेस के लिए हो रहा है तो यह सही नहीं है। आर्मी यह जमीन सरकार को वापस कर दे
डिफेंस ट्रेनिंग की जमीन पर मूवी थिएटर और मैरिज हॉल
दरअसल, रक्षा संबंधी कार्यों के लिए सेना को जमीन अधिग्रहण करने का अधिकार है। कई जगह सरकार ने आर्मी को ट्रेनिंग इत्यादि के लिए जमीनें दे रखी है। लेकिन पाकिस्तान की सेना इन जमीनों का इस्तेमाल कर व्यवसाय कर रही हैं। तमाम जगहों पर जमीनों पर सेना ने मैरिज हॉल, शॉपिंग सेंटर, मूवी थिएटर खोल रखे हैं।
सुप्रीम कोर्ट हुआ नाराज
सरकारी जमीन के व्यवसायिक इस्तेमाल से सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। मंगलवार को बेंच के सामने डिफेंस सेक्रेटरी लेफ्टिनेंट जनरल मिया मोहम्मद हिलाल पेश हुए। बेंच ने उनसे कहा- आपको सरकारी जमीन इसलिए दी गई थी ताकि इसका इस्तेमाल आप सैन्य कार्यों के लिए करें। आप वहां सिनेमा हॉल, शादी हॉल, पेट्रोल पम्प और शॉपिंग मॉल्स बना रहे हैं। यह डिफेंस का काम नहीं है बल्कि एक कारोबार है? चीफ जस्टिस ने कहा कि अवाम फौज का सम्मान करती है। आपके इन कामों क्या संदेश जाएगा? कराची हो या कोई दूसरा कैंट एरिया, आपने हर जगह यही किया है। हमने आपकी रिपोर्ट देखी है, इससे हम कतई संतुष्ट नहीं हैं। इस पर डिफेंस सेक्रेटरी ने कहा- हम आपको पूरी रिपोर्ट और फोटोज देना चाहते हैं। अटॉर्नी जनरल इसे तैयार कर रहे हैं। चार हफ्ते में रिपोर्ट आपके सामने रखी जाएगी। इस पर कोर्ट ने चार हफ्ते की मोहलत दे दी।
फौज का काम सरहदों की हिफाजत करना न कि व्यवसाय
जस्टिस अमीन ने डिफेंस सेक्रेटरी से कहा कि कराची के मामले में हमें कई शिकायतें मिली हैं। आपने हर कानून का उल्लंघन किया है। आपने मेन रोड के करीब हाईराइज बिल्डिंग्स बनाई हैं। हमें यह बताएं कि आपने इसकी मंजूरी ली या नहीं। ये रातोंरात तो तैयार नहीं हो सकतीं। उन्होंने कहा कि फौज का काम सरहदों पर मुल्क की हिफाजत करना है, आप लोग तो खुलेआम कारोबार कर रहे हैं और इसके लिए किसी तरह की मंजूरी लेना भी शान के खिलाफ समझते हैं। आपके कई अफसरों ने सरकारी जमीन पर घर बनाकर उन्हें लाखों रुपए में बेच दिया। आप इस बारे में भी चार हफ्ते में रिपोर्ट सौंपें।
तीन सदस्यीय बेंच कर रही है सुनवाई
एक याचिका पर चीफ जस्टिस गुलजार अहमद की बेंच सुनवाई कर रही है। इसमें जस्टिस काजी मोहम्मद अमीन अहमद और जस्टिस एजाज-उल-अहसान भी शामिल हैं।
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