
Pakistan Attack on Kabul: पाकिस्तान ने गुरुवार यानी 9 अक्टूबर की रात बम धमाकों से अफगानिस्तान को हिला दिया। पाकिस्तानी सेना ने काबुल में तहरीक-ए-तालिबान के प्रमुख नूर वली महसूद को निशाना बनाते हुए धमाके किए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हमले से महसूद को तो कोई नुकसान नहीं पहुंचा, लेकिन उनका बेटा मारा गया है। अब सबसे बड़ा सवाल उठता है कि पाकिस्तान ने आखिर काबुल पर हमला क्यों किया? आइए जानते हैं।
तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी हाल ही में भारत के दौरे पर नई दिल्ली पहुंचे हैं। इस दौरान मुत्ताकी भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल से भी मुलाकात करेंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वे 7 दिन के दौरे पर भारत आए हैं और इस दौरान अलग-अलग कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे। तालिबानी विदेश मंत्री की यात्रा के बाद से ही पाकिस्तान बेचैन दिख रहा है।
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अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा से पाकिस्तान बौखला गया है। मुत्तकी के भारत दौरे के दौरान ही काबुल पर अटैक दिखाता है कि वो सीधे तौर पर अफगानिस्तान को भारत से दूर रहने की चेतावनी दे रहा है। काबुल पर एयरस्ट्राइक कर पाकिस्तान उसे ये मैसेज देने की कोशिश कर रहा है कि हमने हमला किया तो भारत तुम्हारी रक्षा करनेवाला नहीं है।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में संसद में धमकी देते हुए कहा था कि आतंकवादियों को अब किसी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। पाकिस्तान के सब्र का बांध अब टूटने वाला है। अब उन्हें (तालिबान) तय करना है कि वो दुश्मन के साथ हैं या हमारे। हालांकि, आसिफ ने सीधे तौर पर अफगानिस्तान का नाम नहीं लिया था।
बता दें कि अमीर खान मुत्ताकी के इस दौरे पर भारत तालिबान सरकार को मान्यता दे सकता है। 2021 में अमेरिका के अफगानिस्तान छोड़ने और वहां तालिबान के कब्जे के बाद भारत ने काबुल स्थित अपने दूतावास को बंद कर दिया था। अफगानिस्तान में तालिबान आने के करीब 4 साल बाद अब भारत इसे सरकार के तौर पर मान्यता देने पर विचार कर सकता है। इसके अलावा दोनों देशों के बीच ड्रायफ्रूट के निर्यात, चाबहार रूट, क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद पर रोक लगाने संबंधी मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है।
विदेशी मामलों के जानकारों के मुताबिक, भारत से दोस्ती कर अफगानिस्तान खुद पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को घटा सकता है। इसके अलावा कुछ महीनों पहले वहां आए भूकंप के बाद भारत ने राहत सामग्री भेज उनकी काफी मदद की थी। भारत ने अफगानिस्तान में पहले ही इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काफी निवेश कर रखा है। ऐसे में तालिबान से बेहतर रिश्ते बनाकर रखने में ही उसका हित है। साथ ही ये संबंध पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भी जरूरी है।
अमीर खान मुत्ताकी अफगानिस्तान की तालिबान सरकार में विदेश मंत्री हैं। पश्तून समुदाय से आने वाले मुत्ताकी दारुल उलूम और मदरसों से इस्लाम की पढ़ाई की है। उन्होंने 90 के दशक की शुरुआत में तालिबान आंदोलन को सपोर्ट किया। विदेशी मामलों की बेहतर समझ के चलते 2021 में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया।
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