
Pakistan Corruption Warning: इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने पाकिस्तान पर एक ऐसी रिपोर्ट जारी की है, जिसने पड़ोसी मुल्क के राजनीतिक गलियारों से लेकर आर्थिक ढांचे तक हर तरफ हड़कंप मचा दिया है। 186 पन्नों की 'शासन एवं भ्रष्टाचार निदान रिपोर्ट' (Governance & Corruption Diagnostic Report) में साफ कहा है कि पाकिस्तान में भ्रष्टाचार सिर्फ समस्या नहीं, बल्कि सिस्टम का हिस्सा बन चुका है। सत्ता, ताकत, रिश्तों और पकड़ के खेल ने पूरे देश की गवर्नेंस को अंदर से खोखला कर दिया है। जनवरी 2023 से दिसंबर 2024 के बीच पाकिस्तान ने 5.3 ट्रिलियन रुपए की करप्शन रिकवरी दिखाई। IMF साफ कहता है, यह तो सिर्फ एक छोटा हिस्सा है, असल नुकसान इससे कई गुना ज्यादा है। जानिए रिपोर्ट में और क्या है...
IMF रिपोर्ट पाकिस्तान के भ्रष्टाचार को लगातार (Persistent) और नाश करने वाला (Corrosive) बता रही है। यह हर स्तर पर नुकसान पहुंचा रहा है। इसकी वजह से पब्लिक फंड की बर्बादी, बाजारों में गड़बड़ियां, अनुचित प्रतिस्पर्धा, निवेशकों का भरोसा खत्म और सरकारी संस्थानों की पकड़ ढीली हो गई है। IMF ने साफ कहा कि 20 साल से पाकिस्तान दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों की रैंकिंग में नीचे ही रहा है।
रिपोर्ट का सबसे चौकाने वाला हिस्सा एलीट कैप्चर का खुलासा है। IMF रिपोर्ट में कहा गया है कि, पाकिस्तान में सबसे गंभीर भ्रष्टाचार वही है, जहां खास लोग और शक्तिशाली समूह पूरे आर्थिक ढांचे को कंट्रोल करते हैं। कई ऐसे सेक्टर जहां राज्य का प्रभाव है, वहां प्रिविलेज्ड ग्रुप्स फैसलों को अपनी मर्जी से मोड़ते हैं। यह गवर्नेंस को पूरी तरह बंधक बना देता है।
IMF ने पाकिस्तान की न्यायपालिका को बहुत जटिल, धीमी, राजनीतिक प्रभाव में काम करने वाली व्यवस्था बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोर्ट पर भरोसा कम होने से निवेश कम है। 68% पाकिस्तानियों को लगता है कि एंटी-करप्शन संस्थाएं राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल होती हैं। इससे सबसे ज्यादा नुकसान कानून के भरोसे, निवेश माहौल और जनता के विश्वास का होता है।
IMF ने पाकिस्तान के लगभग हर सरकारी कार्यक्षेत्र में समस्याएं बताया है। टैक्स प्रशासन, पब्लिक प्रोक्योरमेंट, कस्टम्स, सरकारी कंपनियां (SOEs) और कैपिटल स्पेंडिंग इसमें शामिल है। सबसे बड़ा मुद्दा है कि नीतियां कागज पर एक, लेकिन असल कामकाज बिल्कुल उल्टा है। SOEs के पास GDP का 48% के बराबर एसेट्स हैं, जिससे प्राइवेट सेक्टर दब जाता है, भ्रष्टाचार बढ़ता है और पावरफुल लोग मार्केट पर कब्जा जमाते हैं।
पाकिस्तान का SIFC (Special Investment Facilitation Council) सिविल-मिलिट्री कंट्रोल में बड़े निवेश फैसले लेता है। IMF ने चेतावनी दी है कि इसमें पारदर्शिता की भारी कमी, फैसलों में अनियंत्रित डिस्क्रिशनरी पावर है और बड़े आर्थिक सौदों में जवाबदेही नहीं है। IMF ने पहली बार कहा कि SIFC का पूरा वार्षिक रिपोर्ट पब्लिश करें, कौन-कौन से टैक्स छूट, रियायतें और डिस्काउंट दिए गए, सब सामने आए।
IMF का बहुत बड़ा दावा है कि अगर पाकिस्तान गवर्नेंस सुधार लागू करे तो 5 साल में GDP 5-6.5% तक बढ़ सकती है। लेकिन अगर सुधार नहीं हुए तो आर्थिक ठहराव, राजनीतिक अस्थिरता, बाहरी सहारे पर निर्भरता और ज्यादा कर्ज बढ़ेगा। IMF ने कहा, बिना सुधार पाकिस्तान हमेशा आर्थिक रूप से कमजोर, राजनीतिक रूप से अस्थिर और बाहरी मदद पर निर्भर रहेगा।
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