शहबाज शरीफ सरकार में आतंरिक मंत्री राणा सनाउल्लाह और रेल मंत्री ख्वाजा साद रफीक ने कहा कि विपक्षी तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी को सरकार के साथ बैठ जाना चाहिए। गतिरोध का हल सरकार के साथ वार्ता कर ही किया जा सकता है।
Pakistan Government: हकीकी आजादी मार्च कर आम चुनाव कराने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे पूर्व पीएम इमरान खान से बातचीत के लिए शहबाज सरकार राजी हो गई है। पाकिस्तान सरकार ने शनिवार को तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के मुखिया इमरान खान को बिना शर्त बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। शहबाज शरीफ सरकार के दो मंत्रियों ने संवाददाता सम्मेलन में यह ऐलान किया कि इमरान खान को सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बैठकर चुनाव संबंधी मुद्दों पर बातचीत करनी चाहिए। सरकार इसके लिए तैयार है। एक दूसरे को सुने बिना किसी भी समस्या का निदान नहीं खोजा जा सकता है।
राणा सनाउल्लाह और ख्वाजा साद ने किया आमंत्रित
शहबाज शरीफ सरकार में आतंरिक मंत्री राणा सनाउल्लाह और रेल मंत्री ख्वाजा साद रफीक ने कहा कि विपक्षी तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी को सरकार के साथ बैठ जाना चाहिए। समय से पहले आम चुनाव कराने के गतिरोध का हल सरकार के साथ वार्ता कर ही किया जा सकता है। लेकिन बातचीत और धमकी एक साथ नहीं चल सकती। या तो इमरान खान धमकी देते रहें या बातचीत के लिए आगे बढ़ें, सरकार बातचीत को तैयार है। रेल मंत्री रफीक ने कहा कि इमरान खान को बिना शर्त बातचीत के लिए हमारे साथ बैठना चाहिए। उनको बातचीत की जरूरत है हमें नहीं। अगर पक्ष-विपक्ष बैठकर बात करेंगे तो संभव है कुछ जटिल समस्याओं का समाधान खोजा जा सक।
मंत्रीद्वय ने यह भी कहा कि विधानसभाओं को भंग करना कोई गर्व की बात नहीं है लेकिन शरीफ सरकार चाहती है कि विधानसभाएं अपना संवैधानिक कार्यकाल पूरा करें। अगर खान गंभीर हैं तो धमकी देने के बजाय बातचीत करने की ओर आगे बढ़ना चाहिए।
पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा की विधानसभाओं को भंग करने की धमकी
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने बीते दिनों चुनाव कराने की मांग करते हुए यह कहा था कि अगर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार बातचीत नहीं करती है और आम चुनाव के तारीखों का ऐलान नहीं करती है तो वह अपनी पार्टी के शासन वाले पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा की विधानसभाओं को भंग कर देंगे।
इमरान खान को बीते अगस्त में अविश्वास प्रस्ताव लाकर प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया था। इसके बाद से पूर्व पीएम आम चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने बीते दिनों हकीकी आजादी मार्च भी चुनाव कराने के लिए सरकार पर दबाव बनाने की खातिर निकाली थी। हालांकि, मार्च के दौरान इमरान खान पर जानलेवा हमला हुआ जिसमें वह बाल-बाल बच गए थे। हमले के बाद उन्होंने मार्च जारी रखा लेकिन इसे बीच में ही वापस ले लिया।
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