पाकिस्तान में 277 साल पुराने गुरुद्वारे को 'मस्जिद' बताकर कट्टरपंथियों ने किया कब्जा, सिखों की एंट्री पर बैन

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के दमन का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां शहबाज शरीफ सरकार की शह शह पर मुस्लिम कट्टरपंथियों ने इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB) के साथ मिलकर लाहौर के करीब 277 साल पुराने ऐतिहासिक शहीद भाई तारू सिंह गुरुद्वारे पर कब्जा कर लिया है। 

इस्लामाबाद. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के दमन(Minority Atrocities in pakistan) का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां शहबाज शरीफ सरकार की शह शह पर मुस्लिम कट्टरपंथियों ने इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB) के साथ मिलकर लाहौर के करीब 277 साल पुराने ऐतिहासिक शहीद भाई तारू सिंह गुरुद्वारे पर कब्जा कर लिया है। यहां सिखों की एंट्री बैन कर दी गइ है। मस्जिद पर ताला लगा दिया है। इसे मस्जिद बताया जा रहा है। इस हरकत से सिखों में गुस्सा फैल गया है। हालांकि वे इस्लामिक कट्टरपंथियों के आगे बेबस नजर आ रहे हैं। पढ़िए पाकिस्तान की शर्मनाक हरकत...


गुरुद्वारे में इस समय रोज होने वाला गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ नहीं हो पा रहा है। कई दिनों से यह गुरुद्वारा कट्टरपंथियों के निशाने पर था।गुरुद्वारे को बंद करने की लगातार धमकियां दी जा रही थीं।  इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड पाकिस्तान सरकार के तहत एक संवैधानिक निकाय(statutory body) है, जो विभाजन के दौरान भारत आए हिंदुओं और सिखों द्वारा छोड़ी गई संपत्ति का मैनेजमेंट करता है। 1950 में नेहरू-लियाकत समझौते और 1955 में पंत मिर्जा समझौते के बाद 1960 में इसका गठन किया गया था। बता दें कि विभाजन के बाद यानी 1947 में पाकिस्तान में 20 लाख सिख थे, जो अब मुश्किल से 20 हजार रह गए हैं। पाकिस्तान में 160 ऐतिहासिक गुरुद्वारों हैं, लेकिन 20 के संचालन की अनुमति मिली हुई है। बाकी बंद हैं।

Latest Videos

गुरुद्वारे का निर्माण उस जगह पर  किया गया था, जहां मुगलों द्वारा 1745 में सिख सेनानी भाई तारू सिंह की हत्या कर दी गई थी। कहते हैं कि गुरुद्वारा उस मैदान पर बनाया गया था, जहां पहले कभी शहीद गंज मस्जिद हुआ करती थी। इसी वजह से विवाद चला जा रहा है। गुरुद्वारा 1747 में बनवाया गया था। उस समय तक वहां मस्जिद भी बनी रही। मुसलमानों और सिखों के बीच यह विवाद ब्रिटिश कोर्ट में भी चले।1935 में सिखों के एक उग्र समूह ने मस्जिद ढहा दी थी। इसके बाद यहां सांप्रदायिक दंगे भी हुए थे।


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लाहौर स्थित इस गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ करने के लिए रोजाना बड़ी संख्या में सिख समुदाय के श्रद्धालु आते हैं। शहीद गंज नालौखा क्षेत्र में स्थित गुरुद्वारा का एक लंबा और उथल-पुथल भरा इतिहास रहा है। 

पाकिस्तान में पहले भी एक गुरुद्वारे को इस्लामी पूजा स्थल घोषित किया गया था। दो साल पहले एक प्रमुख गुरुद्वारा को मस्जिद के रूप में घोषित किया गया था। हालांकि भारत के इस्तक्षेप के चलते पाकिस्तान सरकार को हाथ पीछे खींचने पड़े थे।

ऑल पाकिस्तान हिंदू राइट मूवमेंट के अनुसार विभाजन के समय पाकिस्तान में 4280 मंदिर थे। अब 380 मंदिर बचे हैं। 3900 मंदिरों को ढहा दिया गया है।

यह भी पढ़ें
पाकिस्तान में TTP का आतंक, सिर काटकर सरेआम पेड़ से लटका रहा, डरकर लोग जनाजे में भी नहीं जा रहे
तालिबान ने हत्यारोपी को सरेआम दी मौत की सजा, शरिया लॉ का पालन कराने के लिए एक दर्जन से अधिक मंत्री रहे मौजूद

 

Share this article
click me!

Latest Videos

पहले गई सीरिया की सत्ता, अब पत्नी छोड़ रही Bashar Al Assad का साथ, जानें क्यों है नाराज । Syria News
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में तैयार हो रही डोम सिटी की पहली झलक आई सामने #Shorts
The Order of Mubarak al Kabeer: कुवैत में बजा भारत का डंका, PM मोदी को मिला सबसे बड़ा सम्मान #Shorts
LIVE 🔴: रविशंकर प्रसाद ने भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया | Baba Saheb |
20वां अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड, कुवैत में 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' से सम्मानित हुए पीएम मोदी