
पाकिस्तान आसिफ अली जरदारी। पाकिस्तान बीते कई सालों से आर्थिक तंगी की मार झेल रहा है। इसका असर न सिर्फ वहां के आवाम पर दिख रहा है, बल्कि अब राजनेता भी इससे अछूते नहीं रह गए हैं। हाल ही में द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट में दावा किया गया कि पाकिस्तान के नए राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने 8 लाख महीने की सैलरी लेने से मना कर दिया है। उन्होंने मंगलवार (12 मार्च) को राष्ट्रपति पद पर रहते हुए अपना वेतन छोड़ने की घोषणा की है। पाकिस्तान के राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति जरदारी ने मौजूदा आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए फैसला किया है कि वो अपना राष्ट्रपति वेतन नहीं लेंगे। उन्होंने देश में विवेकपूर्ण वित्तीय प्रबंधन को प्रोत्साहित करने के लिए यह फैसला लिया है।"
राष्ट्रपति सचिवालय के बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय खजाने पर बोझ नहीं डालना जरूरी समझा और अपना वेतन छोड़ना पसंद किया। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार 10 मार्च को पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP) के सह-अध्यक्ष आसिफ जरदारी ने पाकिस्तान के 14वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और ऐतिहासिक दूसरी बार आधिकारिक तौर पर राज्य के प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला।सैन्य प्रमुखों को छोड़कर जरदारी एकमात्र नागरिक उम्मीदवार हैं जिन्हें दूसरी बार राज्य प्रमुख के रूप में चुना गया है। इससे पहले, उन्होंने 2008 से 2013 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था।
इसी तरह के वेतन न लेने का फैसलाआंतरिक मंत्री मोहसिन नकवी ने भी अपनी सेवा अवधि के दौरान किया था। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर नकवी ने कहा कि वह चुनौतीपूर्ण समय में हर संभव तरीके से देश की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश काजी फैज़ ईसा ने दिलाई शपथ
पाकिस्तान चुनाव आयोग के अनुसार जरदारी ने शनिवार को अपने प्रतिद्वंद्वी और पश्तून ख्वा मिल्ली अवामी पार्टी (PKMAP) के प्रमुख महमूद खान अचकजई को हराने के लिए 411 चुनावी वोट हासिल किए थे, वहीं महमूद खान को केवल 181 वोट ही मिल सके थे। पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश काजी फैज़ ईसा ने कल इस्लामाबाद में राष्ट्रपति भवन में ज़रदारी को शपथ दिलाई। उनके साथ नवनिर्वाचित प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ और निवर्तमान राष्ट्रपति आरिफ अल्वी भी थे।
सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल साहिर शमशाद मिर्जा और PPP प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी भी मौजूद थे। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, जरदारी उन चार लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपतियों में से एक हैं जिन्होंने अपना पांच साल का संवैधानिक कार्यकाल पूरा किया है।
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