पाकिस्तान में आधिकारिक कार्यक्रमों के मौकों पर रेड कार्पेट के इस्तेमाल पर लगी रोक, वजह जान चौंक जाएंगे आप

हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अधिकारियों को आधिकारिक कार्यक्रमों में लाल कालीन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया है।

sourav kumar | Published : Mar 31, 2024 3:01 AM IST / Updated: Mar 31 2024, 08:37 AM IST

पाकिस्तान में रेड कार्पेट पर बैन। भारत का पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान इस वक्त आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। इसकी वजह से देश चर्चा में है। वहीं पड़ोसी मुल्क में आए दिन ऐसे फैसले लिए जाते हैं, जो लोगों को चौंका देता है। हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अधिकारियों को आधिकारिक कार्यक्रमों में लाल कालीन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया है। 

पीएम शहबाज शरीफ ने ये फैसला इसलिए लिया क्योंकि वो संघीय मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों की यात्राओं के दौरान लाल कालीन बिछाने की प्रथा से खफा नजर आ रहे थे। ARY की रिपोर्ट के मुताबिक कैबिनेट डिवीजन ने लाल कालीन पर बैन लगाने वाले प्रधानमंत्री के निर्देशों के अनुरूप लागू किया गया है।अधिसूचना में कहा गया है कि लाल कालीन अब विशेष रूप से राजनयिक स्वागत के लिए आरक्षित रहेंगे।

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पाकिस्तान की सरकार ने लाल कालीन न बिछाने को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं कहा है, लेकिन ऐसे फैसले कई तरह से सवाल खड़ा करते हैं, क्योंकि हाल ही में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और संघीय कैबिनेट के सदस्यों ने सामूहिक रूप से सरकार के मितव्ययता अभियान के तहत अपने वेतन और भत्ते छोड़ने का फैसला किया है।पिछले महीने प्रधानमंत्री शहबाज ने सरकार के लिए मितव्ययिता उपायों के सर्वोपरि महत्व पर जोर दिया था।

ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट में पाकिस्तान की सच्चाई

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने देश के सामने आर्थिक चुनौतियों का हवाला देते हुए अपना वेतन और भत्ते लेने से इनकार कर दिया था। ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान को 2023 में अपने इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकटों में से एक का सामना करना पड़ा, जिसमें गरीबी, मुद्रास्फीति और बेरोजगारी बढ़ गई। लाखों लोगों के स्वास्थ्य, भोजन और पर्याप्त जीवन स्तर के अधिकार खतरे में पड़ गए। 

वहीं HRW ने शुक्रवार को अपनी 740 पन्नों की विश्व रिपोर्ट 2024 जारी की है। इसमें 100 से अधिक देशों में मानवाधिकार प्रथाओं की समीक्षा की गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक IMF के शर्तों को मानने के बाद  पाकिस्तान में कम आय वाले समूहों के लिए परेशान खड़ी हो गई है।

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