
नई दिल्ली। पाकिस्तान (Pakistan) की जेल में जासूसी के आरोपों में चार साल से सजा काट रहे भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव (Kulbhushan Jadhav) के लिए एक अच्छी खबर आई है। कुलभूषण पाकिस्तान में मिली मौत की सजा के खिलाफ अपील कर सकेंगे। 4 साल पहले जासूसी के आरोप में उन्हें मिलिट्री कोर्ट (Military court) ने यह सजा सुनाई थी। पाकिस्तान के सीनेट ने बुधवार को ‘इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (रिव्यू एंड री-कन्सीडरेशन) ऑर्डिनेंस 2020’ को मंजूरी दे दी है। यह बिल करीब 5 महीने पहले पाकिस्तान के निचले सदन (नेशनल असेंबली) से पास हुआ था। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा। बिल के मुताबिक पाकिस्तान की जेलों में सजा काट रहे विदेशी कैदी (जिन्हें मिलिट्री कोर्ट्स ने सजा सुनाई है) अपनी सजा के खिलाफ अपील कर सकेंगे।
पहले मिलिट्री कोर्ट का निर्णय था सर्वमान्य
फिलहाल पाकिस्तान में मिलिट्री कोर्ट से सजा पाए विदेशी कैदी अपील नहीं कर सकते हैं। इस बिल के अब सीनेट से भी पास होने के बाद मिलिट्री कोर्ट से सजा पाए कैदियों को अपील करने का अधिकार मिल जाएगा। करीब पांच महीने पहले ही पाकिस्तान के कानून मंत्री फरोग नसीम ने इस बिल को संसद में पेश किया था। वहां पास होने के बाद 17 नवम्बर को बिल को सीनेट से भी पास किया गया है। अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा।
ICJ ने सुधार करने को कहा था
कुलभूषण जाधव के मामले में सुनवाई के दौरान इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने पाकिस्तान से अपने कानून में सुधार लाने को कहा था। इसका मकसद दूसरे देशों के कैदियों को न्याय दिलाना है। बिल मंजूर हो जाने के बाद जाधव मिलिट्री कोर्ट के फैसले के खिलाफ हायर सिविल कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।
रॉ एजेंट के आरोप में पकड़ा था
Navy Ex-officer कुलभूषण को 2016 में बलूचिस्तान से पकड़ा गया था। पाकिस्तान सरकार इन्हें RAW एजेंट मानती है। हालांकि भारत सरकार कई बार यह स्पष्ट कर चुकी है कि कुलभूषण इंडियन नेवी के रिटायर्ड ऑफिसर हैं। वे अपने बिजनेस के लिए ईरान गए थे।
पाकिस्तान पर अगवा करने का आरोप
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी पर कुलभूषण को किडनैप करने का आरोप लगता रहा है। मिलिट्री कोर्ट ने 2017 में कुलभूषण को सजा-ए-मौत दी थी। भारत इस मामले को ICJ लेकर गया था। यह मामला तभी से पेंडिंग पड़ा है। हालांकि, ICJ ने सजा पर रोक लगा दी थी। इस मामले में जाधव की ओर से ICJ में भारत के ख्यात वकील हरीश साल्वे ने दलीलें पेश की थीं। एनएसए अजीत डोभाल ने भी पाकिस्तान के तत्कालीन एनएसए नासिर खान जंजुआ से इस मुद्दे पर बातचीत की थी। इस संबंध में कई बार बातचीत हो चुकी हैं।
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