
Pakistan Shia Muslims Ban: पाकिस्तान अपने यहां रहने वाले शिया मुसलमानों के खिलाफ बड़ा प्रतिबंध लगाने जा रहा है। 1 जनवरी 2026 से पाकिस्तान के शिया मुस्लिम अकेले धार्मिक यात्रा के लिए इराक नहीं जा सकेंगे।
पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री मोहसिन नकवी ने ईरान और इराक के अपने समकक्षों के साथ बैठक के बाद यह घोषणा की। दरअसल, हजारों पाकिस्तानी शिया हर साल धार्मिक तीर्थयात्राओं के लिए इराक और ईरान जाते हैं। इनमें से कई अपने वीजा की अवधि से ज्यादा समय तक वहां रुकते हैं।
नई नीति में सिर्फ इराक जाने वाले शिया मुसलमानों को टारगेट किया गया है। इससे इराक में स्थित पवित्र धर्म स्थलों की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों की एक बड़ी संख्या प्रभावित हो सकती है। हर साल 2.15 करोड़ पर्यटक इराक आते हैं। इनमें से बहुत से लोग पहले ईरान में अपनी तीर्थयात्रा पूरी करते हैं।
इराक की आबादी में शिया मुसलमानों का अच्छा-खासा हिस्सा है। वहीं, ईरान शिया बहुल देश है। दूसरी ओर पाकिस्तान सु्न्नी बहुल देश है। यहां शियाओं को सांप्रदायिक भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ता है।
ईरान के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शिया समुदाय पाकिस्तान में है। इसके बाद भी ये कुल आबादी का सिर्फ 10-15% हिस्सा हैं। इन्हें सांप्रदायिक हिंसा, भेदभाव और राजनीतिक अधिकारों से वंचित होने जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कुछ लोग आर्थिक अवसरों की कमी या खतरे के चलते पलायन कर जाते हैं।
मंत्री नकवी ने कहा, "1 जनवरी 2026 से हम किसी भी पाकिस्तानी को तीर्थयात्रियों के समूह आयोजक के बिना इराक जाने की अनुमति नहीं देंगे। हम उन लोगों को रजिस्टर्ड करेंगे जिन्हें समूहों को इराक ले जाने की अनुमति होगी। इसका उद्देश्य अवैध तरीके से इराक जाने और लंबे समय तक रुकने पर रोक लगाना है। इराक और ईरान ने इस नए ढांचे का पूर्ण समर्थन किया है।"
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शिया मुसलमानों को इराक की यात्रा करने से रोकने का फैसला इराक में वीजा की अवधि से अधिक समय तक तीर्थयात्रियों के रहने के मुद्दे के हल के लिए लिया गया है। इससे दोनों देशों के बीच कई बार राजनयिक तनाव आया है। दरअसल, इराक पहुंचने के बाद बहुत से पाकिस्तानी वहां अवैध रूप से रहने लग जाते हैं। वे अवैध तरीके से काम करते हैं। नकवी ने कहा, “जो लोग वहां तय वक्त से अधिक समय तक रह रहे हैं, जो लोग वहां काम करना शुरू कर चुके हैं, हमें इसे रोकना होगा।”
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