बलूचिस्तान में Balochistan Liberation Front (BLF) द्वारा शुरू किए गए 'Operation Baam' के तहत तुर्बत और सिबी में ग्रेनेड अटैक; पांच लोग घायल, 17 जगहों पर हमले। संचार व्यवस्था और सुरक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया।
Operation Baam: पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान (Balochistan) प्रांत में बुधवार को हिंसा की एक नई लहर देखने को मिली जब प्रतिबंधित अलगाववादी संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (BLF) ने अपने 'ऑपरेशन बाम' (Operation Baam) की शुरुआत की। इसी के तहत तुर्बत (Turbat) के अब्सार इलाके में एक घर पर ग्रेनेड हमला हुआ जिसमें पांच लोग घायल हो गए। इसमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।
तुर्बत में महिला-बच्चों पर हमला
स्थानीय पुलिस और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मोहम्मद यूनिस के घर को निशाना बनाया गया। अज्ञात हमलावर मोटरसाइकिल पर आए और घर के पिछवाड़े में हैंड ग्रेनेड फेंक दिया। घायल लोगों में हाजरा, महलब, फातिमा, नाज़ गुल और मोहम्मद इब्राहिम शामिल हैं। सभी को तुरन्त डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल तुर्बत में भर्ती कराया गया।
सिबी में भी पुलिस पोस्ट पर हमला
इसी दिन, बलूचिस्तान के सिबी जिले में एक पुलिस चेक पोस्ट को भी ग्रेनेड हमले से निशाना बनाया गया, हालांकि इस हमले में कोई घायल नहीं हुआ।
'ऑपरेशन बाम' के तहत 17 हमले
मंगलवार देर रात से शुरू हुए BLF के समन्वित हमलों की श्रृंखला में पंजगुर, सुराब, केच और खरान जिलों में कम से कम 17 हमले दर्ज किए गए। इन हमलों को बलूच विद्रोह के हालिया वर्षों के सबसे बड़े अभियान के रूप में देखा जा रहा है।
BLF प्रवक्ता मेजर ग्वाहराम बलोच (Major Gwahram Baloch) ने कहा कि यह प्रतिरोध आंदोलन का नया चरण है। Operation Baam यह दिखाता है कि बलूच लड़ाके समन्वित और बड़े पैमाने पर ऑपरेशन करने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य सुरक्षा बलों को मानवीय और भौतिक दोनों नुकसान पहुंचाना है।
संचार व्यवस्था प्रभावित, सेना सतर्क
स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, खासकर केच और पंजगुर जिलों में टेलीकॉम नेटवर्क बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। आंशिक ब्लैकआउट जैसी स्थिति बनी हुई है।पाकिस्तानी सेना की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन पैट्रोलिंग और चेकिंग में भारी बढ़ोतरी देखी गई है।
बलूच विद्रोह
BLF उन कई बलूच अलगाववादी संगठनों में से एक है जो पिछले दो दशकों से पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में शामिल हैं। इनका मकसद बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों पर अधिक नियंत्रण, राजनीतिक स्वतंत्रता, और मानवाधिकारों की बहाली है। बलूचिस्तान खनिज संपदाओं से भरपूर है, आज भी आर्थिक रूप से पिछड़ा और उपेक्षित माना जाता है। लापता लोगों, फर्जी एनकाउंटर, और विकास की कमी जैसे मुद्दों पर यहां लंबे समय से नाराजगी बनी हुई है।
