
Polygamy in Pakistan: पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट ने बहुपत्नी विवाह या निकाह को बिना पहली पत्नी की सहमति के अवैध करार दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि दूसरा निकाह करने के लिए पहली पत्नी की इजाजत आवश्यक है लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ है तो पत्नी अपनी तरफ से निकाह रद्द कर सकती। इस फैसले का पाकिस्तानी इस्लामिक विचारधारा परिषद ने विरोध किया है। इस्लामिक काउंसिल के अनुसार, बहुविवाह से जुड़ा सुप्रीम कोर्ट का फैसला शरिया कानून के अनुसार वैलिड नहीं है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक पति के खिलाफ उसकी पत्नी ने याचिका दायर कर अपनी निकाह को रद्द करने की मांग की थी। पत्नी ने बताया कि उसके पति ने दूसरा निकाह उसकी सहमति के बिना या अनुमति लिए बिना कर ली थी। यह 1961 मुस्लिम परिवार कानून का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट से इसी कानून के तहत निकाह को रद्द करने की मांग की थी। फस्ख-ए-निकाह की मांग पर फैसला देते हुए कोर्ट ने उसे मंजूरी दे दी। फस्ख-ए-निकाह में अदालत पति के बिना ही शादी को रद्द करती है। कोर्ट ने कहा कि यह उल्लंघन ही शादी को खत्म करने का आधार है।
इस्लामिक परिषद ने कहा कि कोर्ट ने फैसला शरिया के खिलाफ दिया है। परिषद ने कहा कि अगर पति अपनी पहली पत्नी की अनुमति के बिना निकाह कर लेता है तो पत्नी को अपनी तरफ से विवाद रद्द करने का अधिकार देना गैर-इस्लामिक है।
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस्लामिक आइडियोलॉजी काउंसिल ने 25-26 मार्च को परिषद की मीटिंग इसके अध्यक्ष डॉ.रागिब हुसैन नइमी की अध्यक्षता में की। यह परिषद की 241वीं मीटिंग थी। इस मीटिंग में विवाह विवाद और मुस्लिम परिवार कानून अध्यादेश 1961 के उल्लंघन से संबंधित 23 अक्टूबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विचार किया गया।
इस्लामिक परिषद ने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में मुसलमानों को केवल दो तरीकों से ही निकाह खत्म करने का अधिकार है। पहला खुला या दूसरा तलाक। खुला, तलाक का ही रूप है जिसमें कोई मुस्लिम महिला अपने पति को तलाक देती है।
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