आफगानिस्तान में बुझेगी गृहयुद्ध की आग; US और तालिबान के बीच शांति समझौता, 14 महीने में खत्म होगा संघर्ष

दोहा में शनिवार को अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते पर सहमति बन गई। इस समझौते के तहत अमेरिका 14 महीने के अंदर अफगानिस्तान से अपने सैन्य बलों को निकाल लेगा। वहीं, गृह युद्ध की आग में झुलसे अफगानिस्तान में अमेरिका पिछले 18 वर्षों से जंग लड़ रहा है।
 

Asianet News Hindi | Published : Mar 1, 2020 2:56 AM IST

दोहा. कतर के दोहा में शनिवार को अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते पर सहमति बन गई। करीब 18 महीने की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने इस शांति समझौता पर हस्ताक्षर किए हैं। लगभग 30 देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के विदेश मंत्री और प्रतिनिधि अमेरिका-तालिबान शांति समझौते पर हस्ताक्षर के गवाह बने। 

इस समझौते के तहत अमेरिका 14 महीने के अंदर अफगानिस्तान से अपने सैन्य बलों को निकाल लेगा। वहीं, गृह युद्ध की आग में झुलसे अफगानिस्तान में अमेरिका पिछले 18 वर्षों से जंग लड़ रहा है। अमेरिका में हुए 11 सितंबर 2001 के हमले के बाद अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान में डेरा डाला था। इस सैन्य लड़ाई में अब तक काफी संख्या में लोग मारे जा चुके हैं। 

'तालिबान को कायम करना होगा शांति'

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा- तालिबान से हुआ समझौता तभी कारगर साबित होगा, जब तालिबान पूरी तरह से शांति कायम करने की दिशा में काम करेगा। इसके लिए तालिबान को आतंकी संगठन अलकायदा से अपने सारे रिश्ते तोड़ने होंगे। यह समझौता इस क्षेत्र में एक प्रयोग है।

उन्होंने कहा, हम तालिबान पर नजर बनाए रखेंगे। अमेरिका, अफगानिस्तान से अपनी सेना को तभी हटाएगा जब पूरी तरह से पुख्ता कर लेगा कि तालिबान अंतरराष्ट्रीय समुदाय में आतंकी हमले नहीं करेगा। न्यूज एजेंसी के हवाले से कहा गया था कि अमेरिका, अफगानिस्तान से 8600 सैनिक हटाएगा। इसके अलावा भी जो बातें समझौते में कही गई हैं, उन्हें भी 135 दिनों में पूरा कर लिया जाएगा।

भारत ने निभाई अहम भूमिका 

इस समझौते के लिए भारत समेत 30 देशों के राजदूतों को दोहा आने का न्योता भेजा गया था। इसमें भारत की भूमिका अहम रही है। 24-25 फरवरी को भारत दौरे पर आए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा की थी। शांति समझौते से पहले भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला शुक्रवार रात काबुल पहुंचे। उन्होंने राष्ट्रपति अशरफ गनी और सरकार के आला अधिकारियों से मुलाकात की। शृंगला ने राष्ट्रपति गनी को प्रधानमंत्री मोदी का पत्र भी सौंपा।

9/11 के बाद अमेरिकी सैनिकों ने जमाया है डेरा 

9/11 हमले के बाद अमेरिका ने 2001 में तालिबान के खिलाफ जंग के लिए अपने सैनिक अफगानिस्तान भेजे थे। यहां आतंकी गुटों के साथ लड़ाई में उसके 2352 सैनिक मारे जा चुके हैं। अमेरिका अब अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी चाहता है। इसके लिए उसकी अफगान सरकार और तालिबान प्रतिनिधियों के साथ लंबे वक्त से चर्चा चल रही थी। लेकिन, शांति समझौते को लेकर सहमति इसी हफ्ते बनी। राष्ट्रपति ट्रम्प ने शुक्रवार रात डील को अंतिम रूप देने के लिए हरी झंडी दी।

ट्रम्प और मोदी की चर्चा के बाद भारत को न्यौता

तालिबान ने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान पर शासन किया था, लेकिन भारत ने कभी तालिबान से बातचीत को प्राथमिकता नहीं दी। लेकिन 24-25 फरवरी को भारत दौरे पर आए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शांति समझौते को लेकर चर्चा की थी। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, ‘‘मैंने प्रधानमंत्री मोदी से इस संबंध में बात की है, हम समझौते के बेहद करीब हैं। भारत इस मामले में साथ देगा और इससे सभी लोग खुश होंगे।’’ इसी के बाद अमेरिका ने पहली बार भारत को तालिबान के साथ किसी बातचीत के लिए आधिकारिक तौर पर न्योता दिया है। इस समझौते के दौरान कतर में भारतीय राजदूत पी. कुमारन मौजूद रहेंगे।

तालिबान ने 5 हजार लोगों की रिहाई की मांग की: रिपोर्ट

अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान में युद्धविराम के लिए तालिबान ने समझौते में अपने 5 हजार लोगों की जेल से रिहाई की मांग की है। इसके बाद 10-15 दिन के भीतर फिर से सभी प्रतिनिधियों की बैठक होगी। इसमें युद्ध के बाद महिला और अल्पसंख्यकों को लेकर योजनाओं और इलाके के विकास पर चर्चा होगी। शुक्रवार रात अफगान सरकार के 6 सदस्यीय दल ने दोहा के लिए उड़ान भरी थी। इन सदस्यों को राष्ट्रपति गनी ने खुद चुना है।

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