अमेरिका अफगानिस्तान में अपने सैनिकों की संख्या घटाकर 8,600 करेगा, ऐतिहासिक समझौते पर हुए हस्ताक्षर

तालिबान के साथ हुए समझौते के मुताबिक अमेरिका अफगानिस्तान में अपने सैनिकों की संख्या घटाकर 8,600 करने के लिये प्रतिबद्ध है, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि अगर अफगान पक्ष किसी समझौते पर पहुंचने में नाकाम रहता है तो अमेरिका अपने सैनिकों की वापसी के लिये बाध्य नहीं है

Asianet News Hindi | Published : Feb 29, 2020 3:46 PM IST / Updated: Feb 29 2020, 09:40 PM IST

वाशिंगटन: तालिबान के साथ हुए समझौते के मुताबिक अमेरिका अफगानिस्तान में अपने सैनिकों की संख्या घटाकर 8,600 करने के लिये प्रतिबद्ध है, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि अगर अफगान पक्ष किसी समझौते पर पहुंचने में नाकाम रहता है तो अमेरिका अपने सैनिकों की वापसी के लिये बाध्य नहीं है।

युद्ध प्रभावित रहे अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिये अपने प्रयासों और तालिबान के साथ समझौते पर किये गए हस्ताक्षर के तहत अमेरिका अफगानिस्तान में अपने बलों की संख्या शुरू में ही घटाकर 8,600 सैनिकों तक करने के लिये प्रतिबद्ध है। अफगानिस्तान में अभी करीब 13,000 अमेरिकी सैनिक हैं।

मिशन को पूरा करने के लिये आवश्यक बताया था

यह वह स्तर है जिसे अफगानिस्तान में अमेरिकी और नाटो बलों के कमांडर, जनरल स्कॉट्स मिलर ने उनके मिशन को पूरा करने के लिये आवश्यक बताया था। एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि जवानों की वापसी और समझौता एक समानांतर प्रक्रिया है। विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और भारत समेत कई अन्य विदेशी राजनयिकों की मौजूदगी में अमेरिका ने दोहा में तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।

नाम ना जाहिर करने की शर्त पर अधिकारी ने कहा, “हमारी वापसी इस समझौते से जुड़ी है और शर्तों पर आधारित है। अगर राजनीतिक समझौता विफल होता है, अगर वार्ता नाकाम होती है तो ऐसी कोई बात नहीं है कि अमेरिका सैनिकों की वापसी के लिये बाध्य है।”

सैनिकों की वापसी तत्काल नहीं होगी

अधिकारी ने कहा, “यह कहने की बात नहीं है कि राष्ट्रपति के पास अमेरिका के कमांडर-इन-चीफ के तौर पर यह विशेषाधिकार नहीं है कि वह कोई भी फैसला कर सकते हैं जो उन्हें हमारे राष्ट्रपति के तौर पर उचित लगता है, लेकिन अफगान पक्ष अगर किसी समझौते पर पहुंचने में नाकाम रहते हैं या तालिबान समझौते की वार्ता के दौरान बुरा इरादा दिखाता है तो अमेरिका पर कोई बाध्यता नहीं है कि वह अपने सैनिकों को वापस बुलाए।”

सवालों के जवाब में अधिकारी ने कहा कि सैनिकों की वापसी तत्काल नहीं होगी। सैनिकों की संख्या घटाकर 8,600 करना शुरुआती समझौते का हिस्सा है और यह कुछ महीनों में होगा। अधिकारी ने कहा, “यह तत्काल नहीं हो जाएगा। इसे अमल में लाने में थोड़ा वक्त लगेगा। लेकिन यह मौके पर मौजूद कमांडर की अनुशंसा है, राष्ट्रपति का इरादा है और यह एक समझौता है।”

अमेरिकी सेना की प्रतिबद्धता को खत्म करने

एक अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के मुताबिक सैनिकों की वापसी पर काम करने का अमेरिकी इरादा समझौते में व्यक्त प्रतिबद्धता के मुताबिक तालिबान की कार्रवाई से जुड़ा है, जिसमें व्यापक आतंकवाद निरोधक प्रतिबद्धताएं भी शामिल हैं क्योंकि यह अमेरिका की प्राथमिक चिंता है...।

अधिकारी ने कहा कि जहां तक दीर्घकालिक लक्ष्य की बात है, राष्ट्रपति की महत्वाकांक्षा वहां अंतत: राजनीतिक व्यवस्था बनाने, युद्ध खत्म करने और अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की प्रतिबद्धता को खत्म करने की है।

ऐतिहासिक समझौते पर किए गए हस्ताक्षर

अमेरिका ने तालिबान के साथ शनिवार को एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने अन्य आतंकवादी समूहों से संबंध समाप्त करने की तालिबान की प्रतिबद्धता उसे याद दिलाई। पोम्पिओ ने तालिबान से कहा,‘‘अलकायदा से संबंध समाप्त करने का वादा निभाना।’’ उन्होंने दोहा में कहा,‘‘ मैं जानता हूं कि विजय की घोषणा का प्रलोभन होगा लेकिन अफगानियों के लिए विजय केवल तभी होगी जब वे शांति के साथ रह सकें और समृद्ध हो सकें।’’

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

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