कोपनहेगेन में बोले पीएम मोदी: भारतीयों को हर जगह उनके शांत स्वभाव व मेहनत के लिए सम्मान मिलता

Published : May 03, 2022, 08:51 PM ISTUpdated : May 03, 2022, 11:05 PM IST
कोपनहेगेन में बोले पीएम मोदी: भारतीयों को हर जगह उनके शांत स्वभाव व मेहनत के लिए सम्मान मिलता

सार

यूरोपीय दौर पर गए पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को डेनमार्क के कोपनहेगेन में भारतीय समुदाय से बातचीत की है। एक दिन पहले पीएम मोदी ने बर्लिन में भारतीयों को संबोधित किया था। 

कोपनहेगेन। यूरोपीय दौर पर गए पीएम मोदी ने मंगलवार को कोपनहेगेन में भारतीय कम्युनिटी के लोगों से बातचीत की है। डेनमार्क में रह रहे भारतीयों के सम्मेलन में पीएम मोदी के साथ डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन भी रहीं। पीएम मोदी ने कहा कि जब मैं विश्व के नेताओं से मिलता हूं तो वे भारतीयों के शांतिपूर्ण और मेहनती स्वभाव के बारे में बताते हुए कभी नहीं थकते। समावेशिता और सांस्कृतिक विविधता भारतीय समुदाय की ताकत है।

उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष, जब अंतर्राष्ट्रीय यात्रा संभव हुई, प्रधान मंत्री फ्रेडरिकसेन पहली प्रमुख थीं, जिनका हमें भारत में स्वागत करने का अवसर मिला। यह भारत-डेनमार्क संबंधों को मजबूत करने को दर्शाता है। खास बात यह है कि हमारी ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप उनकी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं और मूल्यों द्वारा निर्देशित है।

यूज एंड थ्रो नीति हमारे ग्रह के लिए नकारात्मक

पीएम मोदी ने कहा कि मैं 'जीवन' के बारे में बात करता हूं। पर्यावरण के लिए जीवन शैली को हमें बदलना होगा। हमें उपभोग-उन्मुख दृष्टिकोण को छोड़ना होगा। यूज एंड थ्रो नीति हमारे ग्रह के लिए नकारात्मक है। हमारी खपत हमारी जरूरतों से निर्धारित होनी चाहिए, न कि हमारी जेब के आकार से यह तय हो। 

पीएम मोदी ने कहा कि कल्पना कीजिए, अगर हम भारत के हर परिवार में टीकाकरण नहीं कर पाते, तो दुनिया पर इसका क्या प्रभाव पड़ता। अगर भारत ने मेड इन इंडिया और प्रभावी टीकों पर काम नहीं किया होता, बड़े पैमाने पर उत्पादन नहीं होता, तो कई देशों में क्या स्थिति होती। 

पहले डिजिटल पर सवाल उठे, अब वह तरक्की का जरिया बना

भारत कई बड़े देशों द्वारा उपभोग किए गए संयुक्त डेटा की तुलना में अधिक मोबाइल डेटा की खपत करता है। नए यूजर्स शहरों से नहीं बल्कि दूर-दराज के गांवों से हैं। इसने न केवल भारत के गांवों और गरीबों को सशक्त बनाया है बल्कि एक प्रमुख डिजिटल बाजार के द्वार भी खोले हैं। यह है न्यू इंडिया की असली कहानी। उन्होंने कहा कि जब मैंने डिजिटल इंडिया की बात की थी तो कुछ लोगों ने तरह-तरह के सवाल खड़े किए थे. 'डिजिटल, भारत में?' मैं कहना चाहता हूं कि 5-6 साल पहले हम प्रति व्यक्ति डेटा खपत के मामले में सबसे पिछड़े देशों में से एक थे। लेकिन आज स्थिति बदल गई है।

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