ग्लासगो में पीएम मोदी-नेपाली पीएम देउबा की पहली मुलाकात: भारत-नेपाल महामारी से निपटने के लिए साथ-साथ

Published : Nov 02, 2021, 10:35 PM ISTUpdated : Nov 02, 2021, 11:41 PM IST
ग्लासगो में पीएम मोदी-नेपाली पीएम देउबा की पहली मुलाकात: भारत-नेपाल महामारी से निपटने के लिए साथ-साथ

सार

COP26 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पीएम मोदी ग्लासगो में हैं। पीएम मोदी "एक्सेलरेटिंग क्लीन टेक्नोलॉजी इनोवेशन एंड डेवलपमेंट" पर एक कार्यक्रम में भी शामिल हुए और देर रात दिल्ली के लिए भी रवाना होंगे। 

ग्लासगो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने मंगलवार को ग्लासगो (Glasgow) में नेपाल के पीएम (Nepal PM) शेर बहादुर देउबा (Sher Bahadur Deuba) के साथ द्विपक्षीय मीटिंग (bilateral meeting) की है। दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने महामारी (pandemic) से उबरने की दिशा में मिलकर काम करने का संकल्प लिया साथ ही दोनों देशों के आपसी संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा किया। पीएम देउबा के पद संभालने के बाद से दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच यह पहली मुलाकात थी।

विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने कहा कि नेताओं ने जलवायु और कोरोनावायरस महामारी पर चर्चा की। पीएम नरेंद्र मोदी ने नेपाल के पीएम शेर बहादुर देउबा से मुलाकात की। इस दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर दोनों प्रधानमंत्रियों ने चर्चा की है। 

इससे पहले दिन में, पीएम मोदी और ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर द रेजिलिएंट आइलैंड स्टेट्स (IRIS) पहल की शुरुआत की।

COP26 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पीएम मोदी ग्लासगो में हैं। पीएम मोदी "एक्सेलरेटिंग क्लीन टेक्नोलॉजी इनोवेशन एंड डेवलपमेंट" पर एक कार्यक्रम में भी शामिल हुए और देर रात दिल्ली के लिए भी रवाना हो गए। 

 

सोमवार को पीएम मोदी ने COP26 समिट से इतर बोरिस जॉनसन से मुलाकात की। प्रधान मंत्री ने कहा था कि बोरिस जॉनसन ने भारत आने का उनका निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। पीएम ने शिखर सम्मेलन में भाग लेने से पहले दोनों देशों के बीच आपसी संबंधों को मजबूत करने के प्रयास में ग्लासगो में भारतीय समुदाय के सदस्यों से भी मुलाकात की है। 

COP26 शिखर सम्मेलन को ग्लासगो में किया संबोधित

पीएम मोदी ने स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर में COP26 शिखर सम्मेलन में कहा कि जलवायु संकट के प्रति दुनिया की रणनीति में अनुकूलन भी शामिल होना चाहिए, न कि केवल शमन। उन्होंने कहा कि वैश्विक जलवायु बहस में अनुकूलन को उस तरह का महत्व नहीं मिला है जो शमन को मिला है। यह उन विकासशील देशों के साथ अन्याय है जो जलवायु परिवर्तन से अधिक प्रभावित हैं। हमें अनुकूलन को अपनी विकास नीतियों और परियोजनाओं का प्रमुख घटक बनाने की आवश्यकता होगी।

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