COP26 summit: क्लाइमेट चेंज पर PM मोदी ने चेताया-'चाहे डेवलप हों या रिच कंट्री; यह सबके लिए एक बड़ा खतरा है'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) स्कॉटलैंड में चल रहे COP26 शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन भारत की ओर से जलवायु कार्रवाई की एजेंडे(climate action agenda) पर औपचारिक रिपोर्ट पेश करेंगे।
 

Amitabh Budholiya | Published : Nov 2, 2021 2:30 AM IST / Updated: Nov 02 2021, 02:42 PM IST

ग्लासगो( Glasgow).स्कॉटलैंड में चल रहे COP26 शिखर सम्मेलन का 2 नवंबर को दूसरा और आखिरी दिन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने आज भारत की ओर से जलवायु कार्रवाई की एजेंडे(climate action agenda) पर औपचारिक रिपोर्ट पेश की। इसमें भारत की ओर किए गए प्रयासों और उसके सकारात्मक परिणामों के बारे में बताया।

जलवायु परिवर्तन एक बड़ा खतरा
भारतीय समयानुसार मोदी ने दोपहर करीब दो बजे COP-26 के द्वीपीय राज्यों(insular states) के लिए आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना(disaster resistant infrastructure) का शुभारंभ किया। इस मौके पर मोदी ने कहा-पिछले कुछ दशकों ने साबित कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से कोई भी अछूता नहीं है। चाहे वह विकसित राष्ट्र हों या राष्ट्र जो प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध हैं। यह एक बहुत बड़ा खतरा है। आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना(disaster resistant infrastructure) का शुभारंभ हमें नई आशा और विश्वास से भर देता है। यह हमें सबसे कमजोर देशों के लिए कुछ करने की संतुष्टि देता है।

भारत की ओर से जलवायु कार्रवाई का एजेंडा
मोदी ने कहा कि भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO लघु द्वीप विकासशील राज्य(Small Island Developing States-SIDS) के लिए एक विशेष डेटा विंडो बनाएगी। इसके साथ ही SIDS को सैटेलाइट के जरिए चक्रवात, कोरल-रीफ मॉनिटरिंग, कोस्ट-लाइन मॉनिटरिंग आदि के बारे में समय पर जानकारी मिलती रहेगी। मोदी ने कहा कि छोटे द्वीप और विकासशील राज्यों को जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक खतरा है। उनके लिए यह जीवन और मृत्यु का मामला है। उनके अस्तित्व के लिए एक चुनौती है। जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली आपदाएं उनके लिए तबाही का कारण बन सकती हैं। यह न केवल उनके जीवन के लिए, बल्कि उनकी अर्थव्यवस्था के लिए भी एक चुनौती हैं। छोटे द्वीप विकासशील राज्यों पर जलवायु परिवर्तन के खतरे का अनुमान लगाते हुए भारत ने प्रशांत द्वीप समूह और कैरिकॉम देशों(Islands&CARICOM countries) के साथ सहयोग के लिए विशेष व्यवस्था की है। हमने उनके नागरिकों को सौर प्रौद्योगिकियों (solar technologies)में प्रशिक्षित किया। विकास के लिए निरंतर योगदान दिया।

यह है आज का कार्यक्रम

दोपहर दो बजकर 40 मिनट से शाम 6 बजे तक अलग-अलग देश के नेताओं के साथ चर्चा करेंगे। 

द्वीपक्षीय मीटिंग के दौरान मोदी स्विट्जरलैंड, फिनलैंड, इजराइल, मलावी, नेपाल, यूक्रेन, जापान, अर्जेंटीना से चर्चा करेंगे। मोदी बिल गेट्स से भी मिलेंगे।

शाम 7.45 बजे से लेकर रात 9.45 मिनट लीडर स्तर के एक कार्यक्रम में शामिल होंगे। रात 11 बजे मोदी भारत के लिए उड़ान भरेंगे।

'एक्शन एंड सॉलिडेरिटी-द क्रिटिकल डिकेड' कार्यक्रम में पीएम ने जताई थे चिंता
1 नवंबर को COP26 सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने कार्रवाई और एकजुटता-महत्वपूर्ण दशक (Action and Solidarity-The Critical Decade) विषय पर अपनी बात रखी थी। इसमें मोदी ने कहा था कि एडाप्टेशन के महत्वपूर्ण मुद्दे पर मुझे अपने विचार प्रस्तुत करने का अवसर देने के लिए My Friend बोरिस, Thank You! वैश्विक Climate डिबेट में Adaptation को उतना महत्त्व नहीं मिला है जितना Mitigation को। यह उन विकासशील देशों के साथ अन्याय है, जो climate change से अधिक प्रभावित हैं।

भारत समेत अधिकतर विकासशील देशों के किसानों के लिए climate बड़ी चुनौती है - क्रोपिंग पैटर्न में बदलाव आ रहा है, बेसमय बारिश और बाढ़, या लगातार आ रहे तूफानों से फसलें तबाह हो रही हैं। पेय जल के स्रोत से ले कर affordable हाउसिंग तक, सभी को climate change के खिलाफ resilient(लचीलापन) बनाने की जरूरत है।

इस संदर्भ में मेरे तीन विचार है। पहला, एडाप्टेशन को हमें अपनी विकास नीतियों और परियोजनाओं का मुख्य अंग बनाना होगा। भारत में नल से जल – tap water for all, स्वच्छ भारत- clean India Mission और उज्ज्वला- clean cooking fuel for all जैसी परियोजनाओं से हमारे जरूरतमंद नागरिकों को एडाप्टेशन बेनेफिट्स तो मिले ही हैं, उनकी क्वालिटी ऑफ़ लाइफ भी सुधरी है। दूसरा, कई ट्रेडिशनल कम्युनिटीज में प्रकृति के साथ सामंजस्य में रहने का ज्ञान है।

हमारी एडाप्टेशन नीतियों में इन पारंपरिक practices को उचित महत्त्व मिलना चाहिए।ज्ञान का ये प्रवाह, नई पीढ़ी तक भी जाए, इसके लिए स्कूल के सैलेबस में भी इसे जोड़ा जाना चाहिए। लोकल कंडीशन के अनुरूप lifestyles का संरक्षण भी एडाप्टेशन का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ हो सकता है। तीसरा, एडाप्टेशन के तरीके चाहे लोकल हों, किन्तु पिछड़े देशों को इनके लिए global सपोर्ट मिलना चाहिए।

लोकल एडाप्टेशन के लिए ग्लोबल सपोर्ट की सोच के साथ ही भारत ने Coalition for Disaster Resilient Infrastructure CDRI की पहल की थी। मैं सभी देशों को इस initiative के साथ जुड़ने का अनुरोध करता हूं।

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