Pope Francis: कैथोलिक ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस नहीं रहे। 88 साल की उम्र में उन्होंने 21 अप्रैल की सुबह 7.35 पर अंतिम सांस ली। फेफड़ों में इन्फेक्शन के चलते उन्हें 14 फरवरी को भर्ती कराया गया था। जानते हैं उनके बारे में 10 रोचक Facts.
पोप फ्रांसिस अर्जेंटीना के पहले जेसुइट पादरी थे। वो 2013 में रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप बने थे। उन्हें पोप बेनेडिक्ट सोलहवें का उत्तराधिकारी चुना गया था।
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अर्जेंटीना के फ्लोरेंस में जन्मे
पोप फ्रांसिस का जन्म 17 दिसम्बर 1936 को अर्जेंटीना के फ्लोरेंस शहर में हुआ था। पोप बनने से पहले उनका नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था।
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अमेरिकी महाद्वीप से पहले पोप
वे सोसाइटी ऑफ जीसस (जेसुइट्स) के सदस्य बनने वाले और अमेरिकी महाद्वीप से आने वाले पहले पोप थे। उनके दादा-दादी तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी से बचने के लिए इटली छोड़कर अर्जेंटीना में बस गए थे।
कैथोलिक ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस अपनी सादगी के लिए जाने जाते थे। वे अर्जेंटीना में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्मेमाल करते थे। इसके साथ ही वे पोप के लिए बने महल के बजाय वेटिकन गेस्टहाउस में रहते थे।
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शुरुआत में बाउंसर बने
पादरी बनने से पहले युवावस्था के दौरान उन्होंने बाउंसर और चौकीदार के रूप में भी काम किया था। वे केमिस्ट टेक्नीशियन के तौर पर भी काम कर चुके थे।
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कई भाषाओं के ज्ञानी
पोप फ्रांसिस कई भाषाओं के जानकार थे। उन्हें स्पेनिश, इतालवी और जर्मन के अलावा लैटिन, फ्रेंच, पुर्तगाली और अंग्रेजी भाषाओं का ज्ञान था।
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पर्यावरण हितैषी
पोप फ्रांसिस ने जलवायु परिवर्तन पर एक ऐतिहासिक विश्वव्यापी पत्र 'Laudato Si’ (2015) जारी किया था।
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बच्चों के यौन शोषण पर मांगी माफी
पोप फ्रांसिस ने अप्रैल 2014 में पहली बार चर्चों में बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण की बात कबूल की। इसके लिए उन्होंने पब्लिकली माफी भी मांगी थी।
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एक फेफड़ा निकाला:
संक्रमण के चलते किशोरावस्था में उनका एक फेफड़ा निकाल दिया गया था।
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'फ्रांसिस' उपाधि को चुना
सेंट फ्रांसिस ऑफ असीसी के सम्मान में उन्होंने 'फ्रांसिस' उपाधि को चुना, जो गरीबी और हाशिए में जी रहे लोगों की देखभाल का प्रतीक है।