
काबुल. अफगानिस्तान के मतदाता राष्ट्रपति चुनने के लिए शनिवार को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
सुस्त रहा प्रचार अभियान
शांति के लिए अमेरिका-तालिबान के बीच चल रही वार्ता टूटने के बाद बढ़ी हिंसा और तालिबान की मतदान प्रक्रिया से दूर रहने की धमकी के बावजूद लाखों लोगों के शनिवार को नए राष्ट्रपति चुनने के लिए होने वाले मतदान में शामिल होने की उम्मीद है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से चरमपंथी संगठन तालिबान से बातचीत खत्म करने की घोषणा से अफगानिस्तान में राजनीतिक अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है। तालिबान के साथ समझौता होने की संभावना और राष्ट्रीय चुनाव में देरी एवं राष्ट्रपति अशरफ गनी की सत्ता से विदाई की उम्मीद के मद्देनजर प्रचार अभियान सुस्त रहा।
कुल 18 प्रत्याशी मैदान में
इस स्थिति में युद्धग्रस्त अफगानिस्तान यह चुनाव कराने में कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। इस चुनाव में मतदाताओं को मतपत्र दिया जाएगा जिसमें 18 प्रत्याशियों के नाम होंगे और इनमें से अधिकतर ने प्रचार नहीं किया या मतदान के दिन के लिए व्यवस्था नहीं की है जिससे प्रत्याशियों में भ्रम की स्थिति है।
अशरफ गनी पर लगे हैं सत्ता के दुरुपयोग के आरोप
भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के आरोपों का सामना कर रहे गनी इस चुनाव में मुख्य उम्मीदवार हैं। मुख्य कार्यकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला उनके करीबी प्रतिद्वंद्वी हैं। दोनों ने भ्रष्टाचार और धांधली के आरोपों के बीच 2014 में हुए चुनाव के बाद पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी की पहल पर गठित कथित एकता सरकार में साझेदारी की थी।
(यह खबर न्यूज एजेंसी पीटीआई भाषा की है। एशियानेट हिंदी की टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
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