ईरान में हिजाब के खिलाफ आंदोलित यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स पर टूटा पुलिस का कहर, अमेरिका ने किया 'एक्शन' का ऐलान

ईरान में हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स की गिरफ्तारी का अमेरिका ने विरोध करते हुए कड़ा एक्शन लेने की बात कही है। ये स्टूडेंट्स शरीफ यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के अंदर प्रदर्शन कर रहे थे, जब पुलिस ने कई घंटों तक कैम्पस को घेरे रखा। इस दौरान स्टूडेंट्स की पिटाई भी की गई। अमेरिका ने जुर्माना लगाने की बात कही है।

Amitabh Budholiya | Published : Oct 4, 2022 2:00 AM IST / Updated: Oct 04 2022, 07:32 AM IST

तेहरान. ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन(Anti-hijab protests in Iran) को कुचलने सुरक्षा बलों ने अब स्टूडेंट्स को सलाखों के पीछे करना शुरू कर दिया है। तेहरान में एक टॉप यूनिवर्सिटी में ईरानी सुरक्षा बलों(Iranian security forces) ने छापेमारी करके कई स्टूडेंट्स को गिरफ्तार किया है। बता दें कि पुलिस हिरासत में 22 वर्षीय महसा अमिनी की मौत पर दो सप्ताह से अधिक समय पहले शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच स्टूडेंट्स की गिरफ्तारी का अमेरिका ने विरोध करते हुए ईरान के खिलाफ एक्शन लेने की बात कही है। बता दें कि स्टूडेंट्स रविवार दोपहर राजधानी के प्रतिष्ठित शरीफ यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी(prestigious Sharif University of Technology) के अंदर प्रदर्शन कर रहे थे, जब दंगा पुलिस( riot police) ने कई घंटों तक विश्वविद्यालय को घेरे रखा। इस दौरान स्टूडेंट्स की पिटाई भी की गई। इसमें कई स्टूडेंट्स घायल हुए।

हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर मोरल पुलिस की हिंसा को लेकर अमेरिका ने जताई नाराजगी
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन(US President Joe Biden) ने कहा है कि वे ईरान में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा के अपराधियों पर जुर्माना लगाएंगे। बिडेन ने एक बयान में कहा, "इस हफ्ते, संयुक्त राज्य अमेरिका शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा के अपराधियों पर जुर्माना लगाएगा। हम ईरानी अधिकारियों को जवाबदेह ठहराते रहेंगे और ईरानियों के स्वतंत्र रूप से विरोध करने के अधिकारों का समर्थन करते रहेंगे।"

बाइडेन ने कहा कि अमेरिका ईरानियों के लिए इंटरनेट तक पहुंच को आसान बना रहा है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने नैतिक पुलिस जैसे ईरानी अधिकारियों और संस्थाओं को भी जिम्मेदार ठहराया है, जो नागरिक समाज को दबाने के लिए हिंसा का सहारा लेने के जिम्मेदार हैं। बाइडेन ने कहा- "मैं ईरान में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों पर तेज हिंसक कार्रवाई की खबरों को लेकर गंभीर रूप से चिंतित हूं। इसमें छात्र और महिलाएं भी शामिल हैं, जो अपने समान अधिकारों और बुनियादी मानवीय गरिमा(equal rights and basic human dignity) की मांग कर रहे हैं।"

बाइडेन ने आरोप लगाया-"दशकों से ईरान के शासन ने अपने लोगों को मौलिक स्वतंत्रता से वंचित किया है और धमकी, जबरदस्ती और हिंसा के माध्यम से आने वाली पीढ़ियों की आकांक्षाओं को दबा दिया है। संयुक्त राज्य अमेरिका ईरानी महिलाओं और ईरान के सभी नागरिकों के साथ खड़ा है, जो दुनिया को अपनी बहादुरी से प्रेरित कर रहे हैं।" 

अमेरिका ने यूं जताई नाराजगी
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव करेन जीन-पियरे(White House Press Secretary Karen Jean-Pierre) ने एयर फ़ोर्स वन में एक न्यूज कॉन्फ्रेंस में कहा कि अमेरिका यूनिवर्सिटी के छात्रों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों पर हिंसा और सामूहिक गिरफ्तारी को लेकर सुरक्षा अधिकारियों की रिपोर्ट से चिंतित और हैरान है। विश्वविद्यालय के छात्र प्रतिभाशाली युवा हैं, जिन्हें ईरान का भविष्य होना चाहिए। वे महसा अमिनी की मौत, महिलाओं और लड़कियों के साथ ईरानी सरकार के व्यवहार और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों पर चल रही हिंसक कार्रवाई से वाकई नाराज हैं।" 

जीन-पियरे ने कहा, "इस हफ्ते के आखिरी में की गई हिंसक कार्रवाई ठीक उसी तरह का व्यवहार है, जो ईरान के प्रतिभाशाली युवाओं को हजारों की संख्या में एक देश छोड़ने के लिए गरिमा और अवसर की तलाश करने के लिए मजबूर करती है।"

ऐसे भड़का आंदोलन
ईरान की कुख्यात हो चुकी नैतिकता पुलिस(notorious morality police) द्वारा महसा अमिनी(Mahsa Amini) की गिरफ्तारी और मौत के बाद बाद आंदोलन तेज हो गया है। प्रदर्शन 16 सितंबर को तब शुरू हुए थे, जब 13 सितंबर को 22 साल की स्टूडेंट माहसा अमिनी को हिजाब न पहनने के लिए मॉरल पुलिस ने गिरफ्तार किया था। 22 साल की कुर्द ईरानी अमिनी को 16 सितंबर को मृत घोषित कर दिया गया था। लगभग तीन वर्षों में ईरान में यह सबसे बड़ा आंदोलन है। इस बीच शनिवार को विरोध प्रदर्शन की अगुआई कर रहीं 17 साल की निका शकरामी(Nika Shakrami) को भी बेरहमी से मार दिया गया। निका की नाक काट दी गई थी। उसके सिर पर 29 घाव थे। 17 साल की निका की मौत के बाद आंदोलन और हिंसक हो उठा है। इस बीच सरकार ने प्रदर्शनकारियों को धमकी दी है कि यदि विरोध बंद नहीं किया, तो नतीजे भुगतने होंगे। 

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