तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने पुष्प कमल दहल प्रचंड, तीन डिप्टी PM ने भी लिया शपथ

पुष्प कमल दहल प्रचंड (Pushpa Kamal Dahal Prachanda) तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बन गए हैं। वह ढाई साल तक पद पर बने रहेंगे। इसके बाद गठबंधन के सहयोगी दल सीपीएन-यूएमएल के नेता केपी शर्मा ओली प्रधानमंत्री बनेंगे।
 

Asianet News Hindi | Published : Dec 26, 2022 12:47 PM IST

काठमांडू। पुष्प कमल दहल प्रचंड (Pushpa Kamal Dahal Prachanda) ने सोमवार को तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। एक दिन पहले नेपाल कांग्रेस के नेतृत्व वाले चुनाव पूर्व गठबंधन से वह अलग हो गए थे। उन्होंने विपक्ष के नेता केपी शर्मा ओली के साथ हाथ मिला लिया है। पुष्प कमल की माओइस्ट सेंटर पार्टी ने पांच अन्य दलों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाया है। 

प्रचंड ने रविवार को राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी को 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 169 सदस्यों का समर्थन पत्र सौंपा था और सरकार बनाने का दावा किया था। राष्ट्रपति भंडारी ने शीतल निवास में एक आधिकारिक समारोह में प्रचंड को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।

तीन डिप्टी पीएम ने ली शपथ
राष्ट्रपति ने नई गठबंधन सरकार के अन्य कैबिनेट सदस्यों को भी शपथ दिलाई। नए मंत्रिमंडल में तीन उप प्रधान मंत्री हैं। केपी शर्मा ओली की पार्टी सीपीएन-यूएमएल के बिष्णु पौडेल, सीपीएन-माओवादी केंद्र के नारायण काजी श्रेष्ठ और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) के रबी लामिछाने को डिप्टी पीएम बनाया गया है। बिष्णु पौडेल को वित्त मंत्रालय मिला है। वहीं, नारायण काजी श्रेष्ठ को फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड ट्रांसपोर्ट विभाग और रबी लामिछाने को गृह मंत्रालय मिला है।

सीपीएन-यूएमएल से ज्वाला कुमारी साह, दामोदर भंडारी और राजेंद्र कुमार राय को मंत्री बनाया गया है। जनमत पार्टी के अब्दुल खान को भी मंत्री बनाया गया है। प्रचंड को 30 दिन के भीतर निचले सदन में विश्वास मत जीतना होगा। अगर वह सदन का विश्वास जीतने में नाकाम रहते हैं तो सरकार गठन की नई प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

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ढाई साल पीएम रहेंगे प्रचंड
प्रचंड अगले ढाई साल प्रधानमंत्री रहेंगे। इसके बाद केपी शर्मा ओली पीएम बनेंगे। बता दें कि इसके पहले प्रचंड की पार्टी का समझौता नेपाली कांग्रेस से हुआ था। सत्ताधारी नेपाली कांग्रेस को समर्थन देने से इनकार कर प्रचंड ने गठबंधन छोड़ दिया। प्रचंड ढाई-ढाई साल का फार्मूला चाहते थे। नेपाली कांग्रेस पहले अपना पीएम चाहती थी, जबकि प्रचंड खुद पहले पीएम बनना चाहते थे। इस पर नेपाली कांग्रेस राजी नहीं हुई। बात आगे नहीं बढ़ने के बाद प्रचंड ने पांच अन्य दलों के साथ गठजोड़ कर लिया।

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