इजराइल-हमास युद्ध के बीच इस्लामिक देश कतर (Qatar) की एक कोर्ट ने भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को सजा-ए-मौत दी है। भारत के ये सभी पूर्व नौसैनिक पिछले एक साल से कतर की अलग-अलग जेलों में कैद हैं।
दोहा/नई दिल्ली। इजराइल-हमास युद्ध के बीच इस्लामिक देश कतर (Qatar) की एक कोर्ट ने भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को सजा-ए-मौत दी है। भारत के ये सभी पूर्व नौसैनिक पिछले एक साल से कतर की अलग-अलग जेलों में बंद हैं। हालांकि, कतर सरकार ने इन 8 भारतीयों पर लगे आरोपों को अब तक सार्वजनिक नहीं किया है। कतर में जिन पूर्व नौसेना अफसरों को मौत की सजा सुनाई गई है उनमें कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर सुग्नाकर पकाला और सेलर रागेश हैं।
जानें कतर के फैसले पर क्या है भारत का रिएक्शन?
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार ने कतर के इस फैसले पर हैरानी जताते हुए कहा है कि हम उन्हें छुड़ाने के लिए कानूनी रास्ते तलाश रहे हैं। विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि हम कतर की अदालत के जजमेंट की डिटेलिंग का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद ही इस पर आगे एक्शन लिया जाएगा।
जानें भारतीय नौसैनिक कब हुए थे गिरफ्तार?
इंडियन नेवी के 8 पूर्व अफसरों को कतर की इंटेलिजेंस एजेंसी के स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो ने 30 अगस्त, 2022 को अरेस्ट किया था। हालांकि, भारतीय दूतावास को इसकी जानकारी सितंबर, 2022 के मध्य में दी गई थी। यानी करीब डेढ़ महीने तक भारत सरकार और इनके परिजनों को गिरफ्तारी की बात पता ही नहीं थी। 30 सितंबर को पहली बार इन्हें अपने परिजनों से टेलीफोन पर बात करने की परमिशन दी गई थी।
हमास का हमदर्द है कतर
बता दें कि इस्लामिक देश कतर आतंकी संगठन हमास का हमदर्द है। हमास की फंडिंग ईरान के अलावा कतर से भी होती है। कतर के पैसों से ही हमास के आतंकियों को वेतन दिया जाता है। इतना ही नहीं, हमास के कई बड़े नेताओं ने कतर में ही शरण ले रखी है। इतना ही नहीं कतर पर आतंकी संगठन हिजबुल्ला और ISIS को भी फंडिंग करने के सबूत मिले हैं। कतर ने ही राजधानी दोहा में तालिबान का पॉलिटिकल ऑफिस खुलवाया था। वो तालिबानी आतंकवादियों को अपने देश में मेहमान की तरह रखता है।
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