Israel-Hamas War: अमेरिका में सत्ता बदलते ही दुनिया की राजनीति में भी बदलाव आने शुरू हो चुके हैं। इजरायल-हमास युद्ध विराम के लिए मध्यस्थता कर रहे कतर ने अचानक से खुद को अलग कर लिया है। कतर ने गाजा सीज़फायर और बंधकों को छुड़ाने के लिए मध्यस्थता छोड़ने की वजह दोनों पक्षों का शांतिपूर्ण ढंग से बातचीत की टेबल पर फोकस नहीं करना बताया है। कतर, अमेरिका और मिस्र के साथ मिलकर बंधकों और कैदियों की रिहाई के साथ युद्ध विराम के लिए महीनों से वार्ता में लगा हुआ था।
सूत्रों के अनुसार, कतर ने इजरायल और हमास को इंफार्म कर दिया है कि जबतक सद्भावनापूर्वक समझौता पर बातचीत नहीं किया जाता है तबतक वह मध्यस्थता जारी नहीं रख सकता। मध्यस्थता से कतर के पीछे हटने से दोहा में हमास का पॉलिटिकल ऑफिस भी निरर्थक हो गया है। उधर, कतर ने अमेरिका को यह आश्वासन दिया है कि वह फिर से मध्यस्थता में शामिल होगा लेकिन इसके लिए दोनों पक्षों को बातचीत में ईमानदार रहना होगा। बगैर हिंसा के दोनों पक्ष अगर वार्ता में शामिल होंगे तो ही मध्यस्थता होगी।
कतर में अमेरिका का महत्वपूर्ण सैन्य अड्डा है। वाशिंगटन के शह पर ही कतर ने 2012 से हमास के राजनीतिक नेतृत्व की मेजबानी की है। पिछले साल 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमास के हमले के बाद कतर और अमेरिकी अधिकारियों ने मध्यस्थता शुरू की थी। हालांकि, कतर ने अप्रैल में ही मध्यस्थता में अपनी भूमिका पर समीक्षा करने का संकेत दिया था। कतर के पीछे हटने के संकेत के बाद इजरायल और अमेरिकी राजनेताओं ने आलोचना की थी।
गाजायुद्ध के दौरान इजरायल और हमास के बीच मध्यस्थता कर रहे कतर की पिछले एक साल की उपलब्धि बीते साल के अंत में एक सप्ताह के लिए लड़ाई को रोकवाना और हमास से कई बंधकों को रिहा कराना शामिल है। हालांकि, वार्ता के दौरान युद्ध रोकने में कतर असफल रहा।
समीक्षकों का मानना है कि अमेरिका की शह पर ही कतर, गाजा युद्ध को रोकने के लिए इजरायल और हमास के बीच मध्यस्थता कर रहा था। उस समय प्रेसिडेंट जो बिडेन थे। लेकिन बिडेन के बाद अब अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चुने गए हैं। दूसरी बार राष्ट्रपति बनने जा रहे ट्रंप की नीतियां, वर्तमान राष्ट्रपति बिडेन से अलग हैं। ऐसे में कतर के पीछे हटने में अमेरिका में बदली सत्ता है। अब वाशिंगटन और दोहा ने पिछले महीने नए विकल्पों की खोज के लिए नए सिरे से आमने-सामने बातचीत का ऐलान किया है।
यह भी पढ़ें:
कमला हैरिस का भविष्य: अब क्या करेंगी अमेरिका की उपराष्ट्रपति?