यूक्रेन पर रूस ने किया फॉस्फोरस बम से हमला, ज़ेलेंस्की की NATO से अपील-अपने तोपों और हथियारों का एक प्रतिशत...

यूक्रेन के कई शहर रूसी हमले से पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं। रूस ने हमले में तेजी लाते हुए कई जगह फॉस्फोरस बम का इस्तेमाल किया। बम के फटते ही हवा में पाउडर फैलता है जो ऑक्सीजन के संपर्क में आते ही खतरनाक आग में तब्दील हो जाता है। 

ब्रुसेल्स। यूक्रेन (Ukraine) के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) ने गुरुवार को नाटो (NATO) से यूक्रेन पर रूस के आक्रमण में एक महीने के लिए कीव को अप्रतिबंधित सैन्य सहायता प्रदान करने का आग्रह किया। उन्होंने वीडियो-लिंक के माध्यम से नाटो के प्रतिनिधियों से कहा, "जिस तरह रूस बिना किसी प्रतिबंध के अपने पूर्ण शस्त्रागार का उपयोग कर रहा है उससे लोगों और हमारे शहरों को बचाने के लिए, यूक्रेन को बिना किसी प्रतिबंध के सैन्य सहायता की आवश्यकता है। "

अबतक किए गए सहयोग के लिए दिया धन्यवाद

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अब तक प्रदान किए गए रक्षात्मक उपकरणों के लिए पश्चिमी सैन्य गठबंधन के सदस्यों को धन्यवाद देते हुए, ज़ेलेंस्की ने अधिक आक्रामक हथियारों के लिए अपील की है। उन्होंने कहा कि आप हमें अपने सभी विमानों का एक प्रतिशत दे सकते हैं। अपने टैंकों का भी एक प्रतिशत। 

रूस पर फॉस्फोरस बम के इस्तेमाल का आरोप

ज़ेलेंस्की ने रूस पर फॉस्फोरस हथियार तैनात करने का भी आरोप लगाया है। यह खतरनाक बम है जो फटने पर पाउडर फैलाता है। यह पाउडर ऑक्सीजन के संपर्क में आने पर प्रज्वलित होता है और गंभीर रूप से जलता है। ज़ेलेंस्की ने ककहा कि गुरुवार सुबह फास्फोरस बमों का इस्तेमाल किया गया था। रूसी फास्फोरस बम से वयस्क और बच्चे मारे गए हैं। उन्होंने कहा कि नाटो हमें वे सभी हथियार देकर जिनकी हमें जरूरत है, एलायंस एक बार फिर रूसी हमलों से यूक्रेनियाई लोगों की मौतों और रूसी कब्जे को रोकने में मदद कर सकता है।

अमेरिका जता रहा रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल का अंदेशा

उधर, रूस पर प्रतिबंधों से लगातार शिकंजा कस रहे अमेरिका ने यूक्रेन पर रसायनिक हथियारों के प्रयोग की भी आशंका जताई है। अमेरिकन राष्ट्रपति जो बिडेन ने कुछ दिन पहले ही आशंका जताई कि यूक्रेन में रूस रसायनिक हथियारों का प्रयोग कर सकता है। हालांकि, अमेरिका ने रूस को चेतावनी भी दी है कि वह न्यूक्लियर अथवा रसायनिक हथियारों के इस्तेमाल के बारे में भी सोचे भी मत। उधर, रूस ने भी अमेरिका को दो टूक जवाब दिया था कि वह न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल तभी करेगा जब उसके अस्तित्व पर खतरा आए।

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