नई दिल्ली। भारत ने रूस के साथ चार गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर खरीदने के लिए सौदा किया था। यूक्रेन के साथ लड़ाई शुरू होने के बाद इसकी डिलीवरी में देर हुई है। राहत की बात है कि इस महीने के अंत तक रूस से एक गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर भारत को मिल जाएगा।
हालांकि, S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम के बाकी दो स्क्वाड्रनों की डिलीवरी में 2026 तक देर होने की संभावना है। वहीं, परमाणु ऊर्जा से चलने वाली हमलावर पनडुब्बी का लीज मिलने में 2028 तक देर होने की संभावना है।
भारत रूस से मल्टी रोल फ्रिगेट खरीद रहा है। इसका डिस्प्लेसमेंट 4 हजार टन है। इसे कैलिनिनग्राद के यंतर शिपयार्ड में तैनात 200 से अधिक अधिकारियों और नाविकों के भारतीय दल को सौंप दिया जाएगा। बाद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा युद्धपोत को आईएनएस तुशील के रूप में कमीशन किया जाएगा। वह दिसंबर की शुरुआत में भारत-रूस अंतर-सरकारी सैन्य-तकनीकी सहयोग आयोग (IRIGC-M&MTC) की बैठक के लिए रूस जाने वाले हैं।
दूसरा फ्रिगेट तमाल अगले साल की शुरुआत में भारत को मिलेगा। दोनों स्टील्थ फ्रिगेट हैं। रडार से इन्हें देख पाना कठिन होता है। ये ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों सहित कई आधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस होंगे। भारत ने अक्टूबर 2018 में चार ग्रिगोरोविच क्लास के फ्रिगेट की खरीद के लिए एक अम्ब्रेला समझौते पर साइन किया था। इसमें से पहले दो को रूस से लगभग 8,000 करोड़ रुपए में आयात किया जाना था।
दो युद्धपोत का निर्माण गोवा शिपयार्ड में टेक्नोलॉजी ट्रांस्फर के साथ लगभग 13,000 करोड़ रुपए की कुल लागत से किया जा रहा है। इसमें से पहला इस साल जुलाई में त्रिपुत के रूप में “लॉन्च” किया गया है। ये चार युद्धपोत छह ऐसे रूसी फ्रिगेट में शामिल हो जाएंगे, जिनमें तीन तलवार श्रेणी के और तीन टेग श्रेणी के युद्धपोत हैं।
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