
वाशिंगटन। यूक्रेन पर रूस का हमला (Russia Ukraine War) तीसरे दिन शनिवार को तेज हो गया है। युद्ध से हुए विनाश की भयावह तस्वीरें आ रहीं हैं। भारत के लिए इस युद्ध में किसी का पक्ष लेना और किसी का विरोध करना मुश्किल हो गया है। एक तरफ अमेरिका और पश्चिमी देश हैं, जिनसे भारत के बेहद करीबी रिश्ते हैं। दूसरी तरफ रूस है, जिसके साथ भारत का पुराना सामरिक और रणनीतिक रिश्ता है। ऐसे में भारत ने तटस्थ रहने का फैसला किया है।
शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया गया। इस प्रस्ताव के पक्ष में 11 और विपक्ष में 1 वोट पड़ा। भारत, चीन और UAE ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। हालांकि, रूस ने वीटो पावर का इस्तेमाल कर इस निंदा प्रस्ताव को खारिज कर दिया। यूक्रेन रूस जंग को लेकर भारत की इस नीति की आलोचना अमेरिकी डिप्लोमेट रिचर्ड हास ने की। इसपर Zoho के भारतीय CEO ने उनसे कहा कि अमेरिका को पहले अपनी गलतियां देखनी चाहिए।
अमेरिका के विदेश संबंध परिषद के अध्यक्ष रिचर्ड हास ने ट्विटर पर भारत की आलोचना करते हुए कहा कि वह पुतिन को हर कीमत पर नाराज करने से बच रहा है। जोहो के सीईओ श्रीधर वेम्बु ने रिचर्ड हास को जवाब दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने यूक्रेन को विश्वास दिलाया कि उसकी मदद करेगा और उसे अकेला छोड़ दिया। अब आप भारत को दोष क्यों दें रहे हैं? अमेरिका की अफगानिस्तान और यूक्रेन में अपनी विदेश नीति की विफलताओं को देखें।
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