रिपोर्ट्स के अनुसार, सऊदी अरब और बीजिंग के बीच पेट्रो डील के लिए लगातार बात हो रही है ताकि चीन से वह डॉलर की बजाय यूआन में पेमेंट ले सके। अरब के इस फैसले से फाइनेंशियल वर्ल्ड में बड़ी उथल-पुथल मची हुई है।
Saudi Arabia ditches US dollar: सऊदी अरब ने 50 साल के पेट्रो डॉलर डील को छोड़ दिया है। चीन के साथ डील में सऊदी अरब ने डॉलर को छोड़ यूआन को अपनाया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, सऊदी अरब और बीजिंग के बीच पेट्रो डील के लिए लगातार बात हो रही है ताकि चीन से वह डॉलर की बजाय यूआन में पेमेंट ले सके। अरब के इस फैसले से फाइनेंशियल वर्ल्ड में बड़ी उथल-पुथल मची हुई है। दरअसल, पेट्रो-डॉलर डील करीब 50 साल पहले हुआ था जोकि 9 जून 2024 को समाप्त हो गया था।
पेट्रो-डॉलर डील क्या है?
पेट्रो डॉलर एग्रीमेंट 1973 में हुआ था। ऑयल क्राइसिस से निजात पाने के लिए अमेरिका और सऊदी अरब में समझौता हुआ कि सऊदी दुनिया में ऑयल एक्सपोर्ट केवल अमेरिकी डॉलर्स में करेगा। ऑयल सेल से मिलने वाले एक्स्ट्रा मनी से यूएस ट्रेजरी बॉन्ड्स खरीदेगा। यूएस इसके बदले मिलिट्री बैकिंग और डिफेंस की मदद करेगा। इस समझौते का फायदा यह था कि सऊदी अरब को आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिली तो यूएस को ऑयल की एक रिलायबल सप्लाई सुनिश्चित हुई।
पेट्रो डॉलर डील के बाद वैश्विक बाजार के विशेषज्ञों ने कहा कि इस डील से दोनों देशों के बीच बढ़ते घनिष्ठ सहयोग के युग की शुरुआत हुई। उस समय अमेरिकी अधिकारियों ने आशा व्यक्त की कि यह सौदा सऊदी अरब को अपने तेल उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगा। उन्होंने इसे वाशिंगटन और अन्य अरब देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक ब्लूप्रिंट के रूप में देखा।
डील समाप्त होने के बाद क्या बदलेगा
पेट्रो डॉलर डील के खत्म होने के बाद तेल खरीद में डॉलर का एकाधिकार समाप्त होगा। सऊदी अरब अब अमेरिकी डॉलर की बजाय चीनी आरएमबी, यूरो, येन या युआन या किसी अन्य करेंसी में तेल या कोई अन्य पेट्रो प्रोडक्ट्स बेचने में सक्षम हो सकेगा। यहां तक कि बिटकॉइन जैसे डिजिटल करेंसी से लेनदेन पर भी विचार कर सकता है। सऊदी अरब के इस निर्णय से दुनिया में डॉलर की प्रभुसत्ता पर भी असर पड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता है।
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