अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक स्टडी ने दावा किया है कि एलियंस पृथ्वी पर गुप्त रूप से इंसानों के बीच रह सकते हैं।
नई दिल्ली। क्या धरती के अलावा भी किसी और ग्रह पर जीवन है? इस सवाल को जानने के लिए वैज्ञानिक लंबे समय से खोज कर रहे हैं। इस बीच अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक स्टडी ने दावा किया है कि एलियंस पृथ्वी पर गुप्त रूप से इंसानों के बीच रह सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने की UFO आने की जांच
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के ह्यूमन फ्लॉरिशिंग प्रोग्राम के शोधकर्ताओं ने इसकी पड़ताल की कि UFO या अज्ञात हवाई घटनाएं (यूएपी) पृथ्वी पर रहने वाले एलियन से मिलने आने वाले अंतरिक्ष यान हो सकते हैं।
स्टडी में "क्रिप्टोटेरेस्ट्रियल्स" की अवधारणा की जांच की गई है। ये ऐसे प्राणी कहे जाते हैं जो दूसरी दुनिया के हैं और मानव के वेश में हमारे बीच रह रहे हैं। स्टडी में दावा किया गया है कि क्रिप्टोटेरेस्ट्रियल चार रूपों में आ सकते हैं।
1- ह्यूमन क्रिप्टोटेरेस्ट्रियल: एक तकनीकी रूप से उन्नत प्राचीन मानव सभ्यता जो काफी समय पहले नष्ट हो गई थी, लेकिन अवशेष रूप में अस्तित्व में रही।
2- होमिनिड या थेरोपोड क्रिप्टोटेरेस्ट्रियल: तकनीकी रूप से उन्नत गैर-मानव सभ्यता, जिसमें कुछ जमीनी जानवर शामिल हैं जो छिपकर रहने के लिए विकसित हुए हैं। ये एक वानर जैसे होमिनिड वंशज या "अज्ञात, बुद्धिमान डायनासोर" के वंशज हो सकते हैं।
3- पहले के एक्ट्राटेरेस्टोरियल या दूसरे ग्रह के क्रिप्टोटेरेस्ट्रियल: ये प्राणी ब्रह्मांड में कहीं और से या मानव भविष्य से पृथ्वी पर आए होंगे। ये चंद्रमा जैसे स्थानों पर छिपकर रह गए होंगे।
4- जादुई क्रिप्टोटेरेस्ट्रियल: ये एलियंस की तरह कम और "पृथ्वी पर रहने वाले स्वर्गदूतों" की तरह ज्यादा हो सकता हैं।
'क्रिप्टोटेरेस्ट्रियल' प्रजातियों के छिपे हुए ठिकाने की स्टडी में हुई पहचान
हार्वर्ड की स्टडी में पृथ्वी पर तथा उसके निकट कई क्षेत्रों की पहचान की गई है, जहां 'क्रिप्टोटेरेस्ट्रियल' प्रजातियों के छिपे हुए ठिकाने हो सकते हैं। इसका एक उल्लेखनीय उदाहरण 'अलास्का त्रिभुज' है। यह एंकोरेज, जूनो और उटकियागविक को घेरने वाला एक सुदूर और कम आबादी वाला क्षेत्र है। यह क्षेत्र यूएपी के देखे जाने और अन्य असामान्य घटनाओं के लिए हॉटस्पॉट है। 1970 के दशक से लेकर अब तक इस क्षेत्र में ऐसी 20,000 से अधिक घटनाएं हुईं हैं।
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शोधकर्ताओं ने पुरातत्व संबंधी ऐसी रोचक खोजों पर प्रकाश डाला है जो प्राचीन सभ्यताओं के अस्तित्व का संकेत देती हैं। ये किसी भी ज्ञात उन्नत प्रजाति से भी पुरानी हो सकती हैं या संभवतः अभी भी गुप्त रूप से विद्यमान हैं। जापान में योनागुनी जिमा के तट पर एक गोताखोर ने विशाल जलमग्न पत्थर की संरचना की खोज की है। कुछ समुद्री भूवैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह 5000 साल पुराने पिरामिड के अवशेष हो सकते हैं। इसे जापानी अटलांटिस से तुलना करते हुए।
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