यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबुधाबी पर ड्रोन अटैक के बाद सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन ने हूती विद्रोहियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
अबुधाबी। यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा सोमवार को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की राजधानी अबुधाबी पर ड्रोन अटैक के बाद सऊदी अरब (Saudi Arabia) के नेतृत्व वाले गठबंधन ने हूती विद्रोहियों (Houthi rebels) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात लड़ाकू विमानों से यमन की राजधानी सना में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर बमबारी की गई। इसके चलते सना में गई जगह से आग की लपटें उठती दिखी।
दरअसल, सोमवार को अबुधाबी पर हूती विद्रोहियों ने ड्रोन अटैक किया था। इसके चलते तीन लोगों को मौत हुई थी, जिनमें दो भारतीय और एक पाकिस्तानी नागरिक है। धमाके की चपेट में आकर 6 लोग घायल हो गए थे। हमला तेल कंपनी ADNOC के गोदाम के पास मुफासा इंडस्ट्रियल एरिया में फ्यूल टैंकरों पर किया गया था। अबुधाबी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास कंस्ट्रक्शन साइट पर भी हमला किया गया था।
हूती विद्रोहियों के सैन्य प्रवक्ता याह्या सारी ने कहा कि समूह ने बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोन का इस्तेमाल कर महत्वपूर्ण और संवेदनशील अमीरात साइटों और प्रतिष्ठानों के खिलाफ एक सफल सैन्य अभियान चलाया था। उन्होंने नागरिकों और विदेशी फर्मों से अपनी सुरक्षा के लिए संयुक्त अरब अमीरात में महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों से दूर रहने का आग्रह किया था।
यमन में 2015 से जारी है हूती संघर्ष
शिया इस्लाम को मानने वाले हूती विद्रोहियों का उत्तरी यमन के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा है। ये इस इलाके में सुन्नी इस्लाम की सलाफी विचारधारा का विरोध करते हैं। 2015 से यमन में हूती संघर्ष जारी है। 2015 में हूतियों ने यमन की राजधानी सना पर कब्जा कर लिया था और राष्ट्रपति अब्दरबू मंसूर हादी को देश छोड़कर भागना पड़ा था। अभी उत्तरी यमन के ज्यादातर हिस्सों पर हूतियों का कब्जा है। सऊदी अरब शुरुआत से ही हादी समर्थक रहा है। 2015 में सउदी की अगुआई वाली गठबंधन सेना ने हूती विद्रोहियों पर कई हवाई हमले भी किए थे।
हूती विद्रोहियों को बढ़ावा देने में ईरान का नाम भी सामने आता है। ईरान और हूती विद्रोही दोनों शिया इस्लाम को मानते हैं। इस जुड़ाव की वजह से ईरान पर आरोप लगाते हैं कि वह हथियार और पैसे देकर इनकी मदद करता है। सितंबर 2019 में हूती विद्रोहियों ने सऊदी अरब के दो तेल संयंत्रों पर हमला करने का दावा किया था, जिससे पूरी दुनिया के तेल बाजार पर असर पड़ा था।
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