Saydnaya prisoners inside story:सीरिया में पांच दशक पुरानी बशर अल-असद शासन को विद्रोहियों ने उखाड़ फेंका है। 13 साल पहले शुरू हुआ विद्रोह, रविवार को पूरे देश की सत्ता पर काबिज होने के बाद अंजाम तक पहुंचा। राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर भाग चुके हैं। हालांकि, उनके प्लेन को मार गिराए जाने की भी अटकलें लगाई जा रही हैं। असद शासन के अंत के साथ ही विद्रोहियों ने जेलों में बंद कैदियों को रिहा करना शुरू कर दिया है। शहरों पर कब्जा के साथ ही कैदियों की रिहाई भी सुनिश्चित की जा रही है। अधिकतर कैदी विद्रोही गुटों से संबंधित हैं जो सालों से यातना और उत्पीड़न सहे हैं। लाखों को यातना के बाद फांसी पर सामूहिक तौर पर लटकाया भी जा चुका है। दरअसल, असद शासन के जेलों में सबसे कुख्यात सैदनाया था। यह मानव वधशाला भी कहा जाता रहा है। यहां यातना के चरम के साथ कैदियों को फांसी दी जाती थी।
सीरियाई शासन में 30 हजार से अधिक लोगों को सैदनाया में मारा गया। यूके की सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स की 2021 रिपोर्ट की मानें तो सीरियाई जेलों में एक लाख से अधिक लोगों को मार दिया गया। इनमें से 30,000 से ज़्यादा लोग अकेले सैदनाया में मारे गए।
मानवाधिकार रिपोर्ट्स के अनुसार, सैदनाया जेलों के दो कस्टडी सेंटर थे। एक लाल बिल्डिंग और एक व्हाइट बिल्डिंग थी। इन केंद्रों पर 2011 में विद्रोह शुरू होने के बाद कैदियों को रखा जाता था। यह कस्टडी सेंटर स्पेशली विद्रोहियों के लिए बनवाया गया था। यह इमारतें सैनिकों की देखरेख में चलते थे।
लाल इमारत में हजारों कैदियों को गुप्त तरीके से फांसी पर लटकाकर मार दिया जाता था। रिपोर्ट्स के अनुसार, फांसी के पहले इन कैदियों को बेहद खतरनाक तरीके से यातना दी जाती थी। फांसी की सजा के लिए कैदियों को दमिश्क के अल-कबून में सैन्य कोर्ट में पेश किया जाता था। दो-तीन मिनटों की कार्रवाई में फांसी की सजा सुना दी जाती। हालांकि, यह नहीं बताया जाता कि उनको फांसी कब दी जाएगी। इसके बाद सैन्य अधिकारी कोड लैंग्वेज का यूज करते थे। फांसी को पार्टी कहते थे। फांसी की सजा पाए विद्रोहियों को एक कोठरी में एकत्र कर लिया जाता था। इनको बताया जाता कि उनको एक सिविल जेल में ट्रांसफर किया जाएगा लेकिन वहां ले जाने की बजाय इनको एक तहखाने में ले जाया जाता था। तहखाने में ले जाकर सामूहिक फांसी दे दी जाती। फांसी के बाद पीड़ितों के शवों को एक ट्रक में लादकर पंजीकरण के लिए तिशरीन अस्पताल ले जाया जाता था और इसके बाद सामूहिक तौर पर दफन कर दिया जाता।
मानवाधिकार रिपोर्टों की मानें तो सैदनाया में फांसी काफी गोपनीय होती थी। केवल अधिकारी और हाईप्रोफाइल सीरियाई सरकार के लोग ही इस बारे में जानते थे। यहां तक की जेलों में तैनात गार्ड्स भी यातना या फांसी से अनजान रहते थे। लाल इमारत में कैदियों को एकत्र करने की प्रक्रिया और पिटाई की देखरेख करने वाले गार्ड भी आमतौर पर इस बात से अनजान होते हैं कि आधी रात को बंदियों को सफेद इमारत में स्थानांतरित किए जाने के बाद उनके साथ क्या होता है।
सैदनाया में फांसी किसे दी जानी है इसकी जानकारी हाईलेवल के अधिकारियों के पास होती थी। सीरिया के ग्रैंड मुफ्ती, रक्षा मंत्री या सेना के चीफ ऑफ स्टॉफ ही केवल फांसी को अप्रूव करते थे। यह लोग राष्ट्रपति बशर अल-असद की ओर से आदेश देने के लिए अधिकृत थे। तीनों लोग अपने विश्वस्त कुछ अधिकारियों के माध्यम से सैदनाया को संचालित करते थे।
सैदनाया की लाल इमारत में हिरासत में रखे जाने वाले कैदियों को फांसी के पहले बेहद यातनापूर्ण दौर से गुजरना होता था। उनकी अत्यधिक पिटाई की जाती, यौन हिंसा से भी गुजरना पड़ता था। इसके अलावा उनको भोजन, पानी, दवा से वंचित रखा जाता। बेहद गंदगी में रहते। यातना इतनी दी जाती कि तमाम मनोविकृत हो जाते थे। छोटे कैदियों को बड़े कैदियों से रेप कराया जाता। बाथरूम में सारे कपड़े उतरवा कर भेजा जाता था। बुरी तरह से मारा पीटा जाता।
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