
Myanmar Earthquake Death: म्यांमार की सेना ने अब तक भूकंप से 1002 लोगों के मारे जाने और करीब 1700 के घायल होने की पुष्टि की है। हालांकि इस तादाद में भारी बढ़ोतरी होने की आशंका है। थाईलैंड में भी कम से कम दस लोगों की जान गई है। म्यांमार में शुक्रवार को आए इस 7.7 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। इस भूकंप का केंद्र म्यांमार के मंडाले से करीब 17 किलोमीटर दूर सगाइंग क्षेत्र में था। इसकी गहराई मात्र 10 किलोमीटर दर्ज की गई है।
भूकंप के झटके इतने तेज थे कि म्यांमार के अलावा पड़ोसी देश थाईलैंड, चीन, कंबोडिया, बांग्लादेश और भारत तक में महसूस किए गए।
म्यांमार की सैन्य सरकार ने बताया कि भूकंप से मंडाले, सगाइंग, और नैपीडॉ जैसे बड़ो शहरों सहित देश के कई इलाकों में इमारतें ढह गईं। मंडाले में मा सोए याने मठ और पूर्व शाही महल को भारी नुकसान पहुंच है। सगाइंग क्षेत्र में 90 साल पुराना एक पुल टूट गया है। नैपीडॉ में सरकारी अस्पताल भी क्षतिग्रस्त हो गया जिसके चलते घायलों को बाहर इलाज करना पड़ा।
म्यांमार की सेना के मुताबिक इस भूकंप में कम से कम 1002 लोग मारे गए हैं और 1670 घायल हुए हैं। यह आंकड़ा अभी बढ़ सकता है। संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत टॉम एंड्रयूज ने इसे "आपदा पर आपदा" करार दिया है। म्यांमार की सैन्य सरकार ने इन मुश्किल हालात में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहायता मांगी है। रेड क्रॉस के मुताबिक, बिजली लाइनों और संचार नेटवर्क के क्षतिग्रस्त होने से बचाव कार्यों में मुश्किलें आ रही हैं।
जिस तीव्रता का भूकंप था उसे देखते हुए ये आशंका जाहिर की गई है कि मरने वालों की तादाद हजारों में पहुंच सकती है। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) ने चेतावनी दी है कि इस शक्तिशाली ङभूकंप से मरने वालों की तादाद 10,000 से अधिक हो सकती है। मंडाले जैसे घनी आबादी के शहर इससे प्रभावित हुए हैं, ऐसे में मरने वालों की तादाद अधिक होने की आशंका बढ़ गई है।
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भूकंप के झटकों से थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक भी हिल गई। बैंकॉक मंडाले से करीब 600 मील दूर है। वहां एक 33 मंजिला निर्माणाधीन इमारत ढह गई जिसमें कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई और 90 से अधिक लोग मलबे में फंसे हैं। थाईलैंड के आपदा रोकथाम विभाग ने बताया कि लगभग 320 लोग घटना के समय निर्माण स्थल पर थे। थाई प्रधानमंत्री पी. शिनावात्रा ने देश में आपातकाल घोषित कर दिया और बचाव कार्यों को तेज करने का आदेश दिया है।
चीन के युन्नान और सिचुआन प्रांतों में भी झटके महसूस किए गए। युन्नान के रुइली शहर में इमारतों को नुकसान पहुंचा और कई लोग घायल हुए हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा, "हम म्यांमार से बात कर चुके हैं और मदद करेंगे।" म्यांमार की मदद के लिए संयुक्त राष्ट्र ने आपातकालीन फंड से 5 मिलियन डॉलर जारी किए हैं। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे "बड़ी घटना" करार देते हुए राहत सामग्री भेजने की तैयारी शुरू कर दी है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सहायता की पेशकश की है।
म्यांमार में सैन्य सरकार के सख्त नियंत्रण और इंटरनेट ब्लैकआउट के कारण प्रभावित क्षेत्रों से पूरी जानकारी मिलने में समय लग सकता है। म्यांमार में चल रहे गृहयुद्ध की वजह से पहले से ही कई चुनौतियां हैं। यहां की स्वास्थ्य सेवाएं और बुनियादी ढांचा चरमराया हुआ है। ऐसे में इस आपदा का असर लंबे समय तक रह सकता है।
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