जिसने बनाया बांग्लादेश अब नोट पर नहीं होगी उसी की तस्वीर, छपेगी आंदोलन की फोटो

बांग्लादेश में नए नोटों से शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर हटाई जा रही है। इन नए नोटों पर जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन की तस्वीर होगी। अगले 6 महीनों में नए नोट बाजार में आ सकते हैं।

ढाका/नई दिल्ली। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले की घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से ही वहां हालात बद से बदतर हो चुके हैं। इसी बीच, अब बांग्लादेश सरकार ने अपनी मुद्रा टका से पूर्व राष्ट्रपति और शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर को हटाने का काम शुरू कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश के बैंक में नए नोट छापे जा रहे हैं, जिसमें जुलाई, 2024 में हुए छात्र आंदोलन की तस्वीर छापी जाएगी।

नए नोटों पर होगी जुलाई के हिंसक छात्र आंदोलन की तस्वीर

ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश सेंट्रल बैंक नए नोट छाप रहा है, जिनमें जुलाई के हिंसक प्रदर्शन की तस्वीरें होंगी। बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के निर्देश पर 20, 100, 500 और 1,000 टका के नए बैंक नोट छापे जा रहे हैं। इन नोटों में अब 'बंगबंधु' के नाम से मशहूर हुए शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर नहीं होगी। बता दें कि जुलाई, 2024 में हुए छात्रों के उग्र आंदोलन के बाद से ही शेख हसीना का तख्तापलट हुआ और उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके बाद उन्होंने भारत में शरण ली है।

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अगले 6 महीने में आ सकते हैं नए नोट 

बांग्लादेश बैंक की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हुशनारा शिखा के मुताबिक, उम्मीद है कि अगले 6 महीने में नए नोट बाजार में आ सकते हैं। इसमें धार्मिक स्ट्रक्चर, बंगाली ट्रेडिशन और जुलाई में बांग्लादेश में हुए छात्र आंदोलन की तस्वीर शामिल होगी।

शेख मुजीबुर्रहमान की प्रतिमाओं को भी पहुंचाया था नुकसान

बता दें कि जुलाई, 2024 में भड़के आंदोलन के दौरान बांग्लादेश की नींव रखने वाले पूर्व राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान की प्रतिमाओं को भी तोड़ दिया गया था। इस दौरान देशभर में कई जगह उनकी मूर्तियों को निशाना बनाया गया था।  शेख मुजीब उर रहमान को बांग्लादेश का जनक भी कहा जाता है। बंगबंधु शेख मुजीब ने 26 मार्च 1971 को पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश की आजादी का ऐलान किया था। बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजाद कराने में भारत ने पूरी मदद की थी। 9 महीने तक चले संघर्ष के बाद पाक सेना ने 16 दिसंबर, 1971 को भारत के सामने सरेंडर किया था। तब से 16 दिसंबर को बांग्लादेश में विजय दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है।

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