
कोलंबो। श्रीलंका (Sri Lanka) में भीड़ बेकाबू होती जा रही है। राष्ट्रपति आवास (President Residence) पर प्रदर्शनकारियों के कब्जे के बाद भीड़ ने पीएम रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) के निजी आवास को आग के हवाले कर दिया है। प्रधानमंत्री रानिलसिंघे ने कुछ घंटे पहले ही सभी दलों की संयुक्त सरकार के ऐलान के साथ अपने इस्तीफा की पेशकश की थी। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया।
देर शाम को प्रधानमंत्री के आवास में घुसी भीड़
श्रीलंका में अभूतपूर्व आर्थिक संकट के बीच भीड़ बेकाबू होती जा रही है। गुस्साएं लोगों ने शनिवार को प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के घर में घुसकर तोड़फोड़ की और आग लगा दी। हालांकि, इसके पहले भीड़ और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प भी हुई। सुरक्षा बलों ने रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े लेकिन रोक न सके।
मई में विक्रमसिंघे को किया गया था पीएम नियुक्त
रानिल विक्रमसिंघे को मई में प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था। हालांकि, बीते दिनों लोगों में बढ़े गुस्से के बाद आंदोलन तेज हो गया था। लगातार जारी प्रदर्शनों के बीच शनिवार को प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे के सरकारी आवास पर कब्जा कर लिया। राष्ट्रपति को आवास छोड़कर किसी सुरक्षित स्थान पर भागना पड़ा।
राष्ट्रपति के भागने के बाद स्थितियां और बदतर
राष्ट्रपति के भागने के बाद देश में अराजकता में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, स्थितियों को काबू में करने के लिए हाईलेवल की मीटिंग में सभी दलों ने संयुक्त सरकार बनाने का सुझाव रखा। प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने सभी दलों के प्रस्ताव को मानते हुए ऑल पार्टी सरकार बनाने का ऐलान करने के साथ प्रधानमंत्री पद छोड़ने की पेशकश कर दी।
कुछ ही देर में भीड़ ने पीएम आवास को आग के हवाले किया
प्रधानमंत्री के घोषणा के कुछ ही देर बाद प्रदर्शनकारियों की भीड़ विक्रमसिंघे के सरकारी आवास में घुस गया। भारी भीड़ के आगे सुरक्षा बल बेबस नजर आए। सुरक्षा बलों ने पीएम के सरकारी आवास में घुसने से रोकने के लिए आंसू गैस के गोले का प्रयोग किया लेकिन विफल रहे। प्रदर्शनकारी अंदर घुस गए। घर में आग लगा दी। वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया।
पूर्व क्रिकेटर्स ने की शांति अपील
पूर्व क्रिकेट कप्तानों सनथ जयसूर्या और महेला जयवर्धने ने हिंसा की निंदा की और शांत रहने की अपील की। लेकिन लोगों का गुस्सा शांत नहीं हो रहा है।
गंभीर संकट से जूझ रहा देश
22 मिलियन लोगों का देश एक गंभीर विदेशी मुद्रा की कमी से जूझ रहा है, जिसने ईंधन, भोजन और दवा के आवश्यक आयात को सीमित कर दिया गया है। पिछले सात दशकों में सबसे खराब वित्तीय उथल-पुथल है। कई लोग देश की खराब स्थिति के लिए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। मार्च के बाद से बड़े पैमाने पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों ने उनके इस्तीफे की मांग की है। हाल के हफ्तों में असंतोष और बढ़ गया है क्योंकि नकदी की कमी वाले देश ने ईंधन शिपमेंट प्राप्त करना बंद कर दिया है, स्कूलों को बंद करने और आवश्यक सेवाओं के लिए पेट्रोल और डीजल की राशनिंग के लिए मजबूर किया है।
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