श्रीलंका संकट: सनथ जयसूर्या बोले- कभी नहीं सोचा था कि राष्ट्रपति राजपक्षे देश छोड़कर भाग जाएंगे

पूर्व क्रिकेटर सनथ जयसूर्या (Sanath Jayasuriya) ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश छोड़कर भाग जाएंगे। कुछ महीनों के लिए स्थिर सरकार बनाना स्पीकर और राजनीतिक दलों पर निर्भर है।

Asianet News Hindi | Published : Jul 13, 2022 7:33 PM IST / Updated: Jul 14 2022, 01:07 AM IST

कोलंबो। श्रीलंका के पूर्व क्रिकेटर सनथ जयसूर्या (Sanath Jayasuriya) ने कहा है कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश को मुसीबत में छोड़कर दूसरे देश भाग जाएंगे। मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा। हमने सोचा कि वह इस्तीफा दे देंगे और देश में ही रहेंगे। दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ। 

जयसूर्या ने कहा कि श्रीलंकाई लोगों ने पिछले कुछ महीनों में ईंधन, बिजली, गैस और स्वास्थ्य संकट देखा है। लोग जैसा चाहते थे वैसा नहीं हो रहा था। लोग लंबे समय से सभी परेशानियों के बाद भी शांत थे, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो लोग विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं। विरोध प्रदर्शन काफी हद तक शांतिपूर्ण रहा है।

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राजनीतिक दलों पर निर्भर है स्थिर सरकार बनाना 
जयसूर्या ने कहा कि कुछ महीनों के लिए स्थिर सरकार बनाना स्पीकर और राजनीतिक दलों पर निर्भर है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय देखेगा कि हमारा देश स्थिर है तभी वे श्रीलंका आने और मदद करने में दिलचस्पी लेंगे। केवल भारत ने हमें इस संकट से बाहर निकलने के लिए 4 अरब डॉलर दिए थे, लेकिन फिर भी हम संकट से नहीं निकल सके। हमें अन्य देशों से भी मदद की जरूरत है।

गौरतलब है कि बिजली बंद होने, जरूरी सामानों की कमी और बढ़ती कीमतों से नाराज प्रदर्शनकारी लंबे समय से राष्ट्रपति राजपक्षे से मांग कर रहे थे कि वे पद छोड़ दें। पिछले कुछ दिनों प्रदर्शन तेज हुआ है। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया और प्रधानमंत्री के आवास को आग लगा दी। इसके बाद राष्ट्रपति राजपक्षे देश से भागने के लिए मजबूर हो गए। राजपक्षे अपने परिवार के साथ श्रीलंका से भागकर मालदीव पहुंचे। मालदीव के विपक्षी दलों ने उन्हें देश में आने देने के लिए सरकार की आलोचना की है।

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श्रीलंका में आपात स्थिति
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शन के बीच श्रीलंका ने बुधवार को आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी। राष्ट्रपति के देश से भागने के कुछ घंटों बाद प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया। दूसरी ओर हजारों प्रदर्शनकारियों ने आपातकाल का उल्लंघन किया और पीएम कार्यालय की इमारत को घेर लिया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे।

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