श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव: क्या रानिल विक्रमसिंघे को मिलेगा दोबारा मौका?

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में शनिवार को राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। वर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे समेत 38 उम्मीदवार मैदान में हैं। जानिए कौन हैं प्रमुख दावेदार और क्या हैं चुनावी मुद्दे।

Sri Lanka Election: आर्थिक बदहाली के दौर से श्रीलंका उबरने की कोशिशें कर रहा है। खराब आर्थिक संकट को झेल चुका श्रीलंका शनिवार को राष्ट्रपति को चुनने के लिए वोट करेगा। वर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे आर्थिक सुधारों से उबारने और साहसिक सुधारों को जारी के नाम पर फिर से मैदान में हैं।

राष्ट्रपति पद के 38 दावेदार

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श्रीलंका में हो रहे चुनाव में राष्ट्रपति पद के तो 38 दावेदार हैं लेकिन वर्तमान प्रेसिडेंट विक्रमसिंघे को दो दावेदारों से चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। चुनाव में दो प्रमुख गठबंधनों, एसजेबी (समागी जन बालवेगया) और एनपीपी (नेशनल पीपुल्स पावर) के अलावा कई छोटी पार्टियों और स्वतंत्र उम्मीदवारों का दबदबा है। श्रीलंका में 225 संसद सदस्य चुने जाते हैं।

जनता के विद्रोह के बाद श्रीलंका आर्थिक संकट से उबर रहा

2022 में जब रानिल विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाला तो देश जनाक्रोश के दौर से गुजर रहा था। जनता सड़कों पर थी। विरोध प्रदर्शन हो रहे थे। हजारों लोगों ने राष्ट्रपति भवन पर धावा बोला तो तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्ष को देश छोड़ना पड़ा था।

रानिल विक्रमसिंघे

75 वर्षीय राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और महीनों से चली आ रही खाद्य, ईंधन और दवा की कमी को समाप्त करने का श्रेय लेने के बाद नए सिरे से जनादेश की मांग कर रहे हैं। विक्रमसिंघे पेशे से एक वकील हैं। वह रिकॉर्ड छह बार प्रधानमंत्री के रूप में काम कर चुके हैं। सिर्फ एक संसद वाली पार्टी के नेता रहे विक्रमसिंघे ने अस्थिरता के बीच सर्वसम्मति से देश की कमान संभाली थी। यूनाइटेड नेशनल पार्टी या यूएनपी के नेता के रूप में उन्होंने जुलाई 2022 में पदभार संभाला।

श्रीलंकाई संसद ने रानिल विक्रमसिंघे को भगोड़े राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के शेष पांच साल के कार्यकाल के लिए चुना गया। राजपक्षे 2019 में राष्ट्रपति चुने गए थे। 225 सदस्यीय संसद में सबसे अधिक सीटों वाली पार्टी श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी) से समर्थन नहीं मिलने के बाद वह निर्दलीय कैंडिडेट के रूप में चुनाव मैदान में हैं।

सजित प्रेमदासा

राष्ट्रपति पद के दूसरे प्रमुख दावेदार विपक्ष के नेता सजित प्रेमदासा हैं। 57 वर्षीय सजित प्रेमदासा, पूर्व राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा के बेटे हैं। वह समागी जना बालवेगया या एसजेबी के मुखिया हैं। 2020 में उनकी पार्टी, विक्रमसिंघे की यूएनपी से अलग हो गई थी। जूनियर प्रेमदासा, मध्यमार्गी लेकिन वामपंथी विचारधारा की ओर झुकाव रखने वाली उनकी पार्टी ने आईएमएफ के $2.9 बिलियन के बेलआउट पैकेज में बदलाव की मांग की है। जीवन की लागत को कम करने के लिए टैक्स में बदलाव आदि की रूपरेखा उन्होंने तैयार की है। प्रेमदासा हस्तक्षेपवादी और मुक्त बाजार आर्थिक नीतियों के मिश्रण के पक्षधर हैं।

अनुरा कुमारा दिसानायके

राष्ट्रपति पद के एक अन्य दावेदार अनुरा कुमारा दिसानायके के पास संसद में केवल तीन सीटें हैं। 55 वर्षीय दिसानायके, नेशनल पीपुल्स पावर या एनपीपी गठबंधन से चुनाव लड़ रहे। गठबंधन में दिसानायके की पार्टी मार्क्सवादी पार्टी पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट या पीएलएफ प्रमुख दल है। दिसानायके भ्रष्टाचार विरोधी सख्त उपायों और गरीब समर्थक नीतियों के पक्षधर हैं। चुनाव पूर्व जनमत सर्वे में दिसानायके 36% वोटिंग के साथ आगे चल रहे हैं। प्रेमदासा और विक्रमसिंघे भी उनसे पीछे सर्वे में हैं।

नमल राजपक्षे

राजपक्षे परिवार के वंशज नमल राजपक्षे भी चुनाव मैदान में हैं। वह पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के बेटे और देश छोड़ भागने वाले तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के भतीजा हैं। 38 वर्षीय नमल राजपक्षे, श्रीलंका के पोडुजना पेरामुना या एसएलपीपी के उम्मीदवार हैं। उनके चाचा बेसिल राजपक्षे ने एसएलपीपी की स्थापना की थी।

नुवान बोपेज

दो साल पहले राजपक्षे परिवार को सत्ता से बेदखल करने और राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को अपदस्थ कर देश छोड़ने को मजबूर करने वाले जनांदोलन की अगुवाई करने वाले पीपुल्स स्ट्रगल अलायंस भी चुनाव मैदान में है। इस अलायंस की अगुवाई 40 साल के नुवान बोपेज कर रहे हैं। वह विद्रोह के दौरान साथ उतरी जनता से समर्थन की उम्मीद कर रहे हैं। वह भ्रष्टाचार विरोधी रुख, गरीबों के हित में नीतियां बनाने के समर्थन में हैं। आईएमएफ के कार्यक्रम का भी उन्होंने विरोध किया है जोकि जनता पर अत्यधिक टैक्स और सब्सिडी खत्म करने पर आर्थिक सहायता कर रही।

 

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