श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने किया चुनाव से तौबा, बोले-अब कभी चुनाव नहीं लडूंगा

श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। लोग महीनों से सड़कों पर हैं। सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच बीते दिनों खूनी संघर्ष के बाद देश के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा था। अब उनके भाई और राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने चुनाव न लड़ने का ऐलान किया है। 

कोलंबो। श्रीलंका में महीनों से सड़क पर हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बावजूद राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे अपने शेष दो साल के कार्यकाल को समाप्त करेंगे। हालांकि, उन्होंने यह भी ऐलान किया है कि वह अब भविष्य में चुनाव नहीं लड़ेंगे। श्रीलंका अपने अबतक के सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। राजपक्षे ने सोमवार को कोलंबो में अपने आधिकारिक आवास पर एक इंटरव्यू में कहा, "मुझे पांच साल के लिए जनादेश दिया गया है। मैं फिर से चुनाव नहीं लड़ूंगा।"

राजपक्षे परिवार को देश में भारी विरोध

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श्रीलंका में आई आर्थिक बदहाली के लिए लोग राजपक्षे परिवार को दोषी ठहरा रहे हैं। सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने राजपक्षे और उनके परिवार को उन फैसलों के लिए जिम्मेदार माना है जिसके कारण ईंधन से लेकर दवा तक हर चीज की भारी कमी हो गई है। देश में मुद्रास्फीति 40 प्रतिशत बढ़ गई है और देश भारी कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है। 

हजारों प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति के समुद्र तटीय कार्यालय के बाहर डेरा डाले

मार्च के मध्य से हजारों प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति के समुद्र तटीय कार्यालय के बाहर डेरा डाले हुए हैं, जिससे उन्हें लगभग एक किलोमीटर दूर अपने आधिकारिक आवास पर वापस जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। मई में सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष खूनी हो जाने के बाद राष्ट्रपति के भाई महिंदा राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद आर्थिक उथल-पुथल राजनीतिक उथल-पुथल में बदल गई। 

गोटबाया राजपक्षे और उनके नए प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे अब इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और भारत और चीन सहित देशों से लगभग 4 बिलियन डॉलर की सहायता की मांग कर रहे हैं। पिछले एक साल में श्रीलंका के रुपये में लगभग 82 प्रतिशत की गिरावट आई है। केंद्रीय बैंक ने सोमवार को और सुधार की संभावना को हरी झंडी दिखाई। श्रीलंका इन दिनों गहरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है।

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