
लंदन। ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नाकाम रहा है। पीएम बोरिस जॉनसन ने 59% सांसदों का समर्थन हासिल कर अविश्वास प्रस्ताव जीता, सत्ता में बने रहेंगे। उन्हें कुल 359 सांसदों में से 211 के वोट उन्हें मिले। कंजर्वेटिव सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराई थी। इस वोटिंग से पार्टी के नेता के रूप में उनका निष्कासन समाप्त होने की अटकलें थीं। यानी अगर जॉनसन नहीं जीतते, तो सत्ता से हटाए जा सकते थे। दरअसल, जॉनसन, "पार्टीगेट" घोटाले के बाद अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं। उन्हें अपने कार्यालय में बने रहने के लिए अपने 359 सांसदों में से अधिकतर के साथ की आवश्यकता थी, जिसमें वे सफल रहे।
पार्टीगेट के बाद घटी बोरिस जॉनसन की लाेकप्रियता
बोरिस जॉनसन को 2019 में प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था। जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी से लॉकडाउन में था तो इंग्लैंड में भी सख्त लॉकडाउन का पालन हो रहा था लेकिन जॉनसन पर सारी सख्ती को दरकिनार कर पीएम ऑफिस में पार्टी की थी। नियमों को तोड़ते हुए पार्टी किए जाने को लेकर बोरिस जॉनसन की खूब किरकिरी हुई थी। पार्टीगेट स्कैंडल से जॉनसन की लोकप्रियता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। विरोधी ही नहीं पार्टी के अंदर भी उनके इस्तीफे की मांग तेज हो गई थी।
जॉनसन के करीबियों ने भी पार्टीगेट के बाद साथ छोड़ा
2019 और 2021 के बीच वित्त मंत्रालय में मंत्री के रूप में सेवा देने वाले जेसी नॉर्मन, पीएम जॉनसन के करीबियों में गिने जाते रहे हैं, लेकिन बीते दिनों उन्होंने उन पर तीखे हमले करते हुए कहा कि सत्ता में रहने वाले प्रधानमंत्री ने वोटर्स और पार्टी दोनों का अपमान किया है। वह कंजर्वेटिव सांसदों में से एक हैं, जिन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि 57 वर्षीय जॉनसन ने ब्रिटेन पर शासन करने का अधिकार खो दिया है, जो कि मंदी, बढ़ती कीमतों और राजधानी लंदन में हड़ताल से प्रभावित यात्रा अराजकता के जोखिम का सामना कर रहा है।
नो कंफिडेंस वोटिंग का ऐलान करते हुए बीते दिनों पार्टी की 1922 समिति के अध्यक्ष ग्राहम ब्रैडी, जो रैंक-एंड-फाइल कंजर्वेटिव सांसदों का प्रतिनिधित्व करते हैं, ने एक नोट में लिखा कि कंजर्वेटिव पार्टी के नेता में विश्वास मत की मांग करने वाले संसदीय दल के 15% की सीमा पार हो गई है। इसके बाद उन्होंने वोटिंग की तारीखों का ऐलान किया।
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