
इस्लामाबाद. पाकिस्तान (Pakistan) के सियालकोट में कथित ईश निंदा के आरोप में भीड़ द्वारा मारे गए श्रीलंकाई नागरिक व फैक्ट्री मैनेजर प्रियंथा दियावदना(Priyantha Kumara diyavadana) मामले में पाकिस्तान सरकार को हस्तक्षेप के लिए आगे आना पड़ा है। दुनियाभर में पाकिस्तान की किरकिरी होने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान खुद मामले को लेकर बयान देने आए। इस मामले में पुलिस ने 6 मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है। साथ ही फैक्ट्री के 900 मजदूरों के खिलाफ भी हत्या का केस दर्ज किया गया है। 49 वर्षीय प्रियंथा की सैकड़ों प्रदर्शकारी भीड़ ने 3 दिसंबर को पीट-पीटकर हत्या (Mob Lynching) कर दी थी। इसके बाद शरीर को जला दिया गया था। ((प्रियंथा को मारती भीड़ और अपने परिवार के साथ मृतक))
करीब पूरी फैक्ट्री के मजदूरों पर हत्या का केस
इस मामले में उगगोकी स्टेशन हाउस(SHO) अरमाघन मक्त( Armaghan Maqt) के आवेदन पर राजको इंडस्ट्री के 900 श्रमिकों के खिलाफ हत्या और एंटी आतंकवाद अधिनियम(Anti-Terrorism Act) सहित कई धाराओं में केस दर्ज किया गया है। SHO ने आवेदन में स्वीकार किया कि उनकी मौजूदगी के बावजूद भीड़ ने प्रियंथा को थप्पड़, लात-घूंसे औ लाठियों से पीटा। उसे वजीराबाद रोड पर कारखाने से बाहर खींचकर लाया गया। जब उसकी मौत हो गई, तो लाश को जला दिया गया। SHO ने कहा कि वे भीड़ के आगे असहाय थे। पकड़े गए 6 मुख्य आरोपी घटना के बाद अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के यहां छुपे हुए थे।
अब तक 124 अरेस्ट
दुनियाभर चौंकाने वाले इस मामले में अब तक 124 लोग अरेस्ट किए जा चुके हैं। इनमें से 19 लोगों ने हत्या में मुख्य भूमिका निभाई थी। पंजाब के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार(Usman Buzdar) और आईजी( Rao Sardar Ali Khan) इस मामले की खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं। जिला पुलिस अधिकारी(DPO) ने कहा कि बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमार कार्रवाई की जा रही है। इस मामले में पुलिस ने प्रियंथा की हत्या को सही ठहराते हुए सोशल मीडिया पर भड़काऊ वीडियो अपलोड करने वाले एक व्यक्ति को भी अरेस्ट किया है। पुलिस ने मुख्य संदिग्धों में से 13 लोगों को मुख्य न्यायाधीश जरीफ अहमद की कोर्ट में कड़ी सुरक्षा के बीच पेश किया था, जिन्हें जेल भेज दिया गया है। इनकी पहचान फरहान इदरीस, सबूर बट, तल्हा, अब्दुल रहमान, इमरान, तैमूर, शोएब, राहील, उस्मान, शाहजैब, नासिर, एहतिशाम और जुनैद के रूप में हुई है।
सहयोगी मदद के लिए गुहार लगाता रहा
पुलिस को घटना से जुड़े कई वीडियो मिले हैं। इसमें इस वीडियो में कुमारा का सहयोगी भीड़ को शांत करने की कोशिश करते दिखा। वो कह रह था कि कुमारा एक गैर-मुस्लिम है और उसे पता नहीं था कि कागज पर क्या लिखा था। वो कह रहा था कि कुमारा को कारखाने से हटा दिया जाएगा और FIR भी दर्ज की जाएगी। हालांकि, भीड़ ने उनकी दलीलों को दबा दिया वीडियो में भीड़ में से कुछ को नारे लगाते और कहते हुए सुना गया कि "वह (कुमारा) आज नहीं बचेंगे। सहयोगी ने कुमारा को अपने शरीर से बचाने की कोशिश की। मीडिया की कुछ खबरों के अनुसार प्रियांथा ने फैक्ट्री में लगा एक स्टिकर हटाकर डस्टबिन में डाल दिया था। वो उर्दू में था, इसलिए समझ नहीं पाए थे।
TLP की भूमिका आई सामने
रविवार को प्रियांथा की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने आई। उनके शरीर की 90% हड्डियां टूटी पाई गईं है। 99% शरीर आग की वजह से जल चुका था। जबड़े और सिर में भी गंभीर चोटें या फ्रेक्चर मिले। स्पाइनल कॉर्ड तीन जगह से टूटी मिली। इस घटना के पीछे तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) को दोषी माना जा रहा है। हालांकि TLP इससे इनकार कर रही है। TLP प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान का संविधान सभी को अपने मजहब मानने की गारंटी देता है, फिर चाहे वो हिंदू हों या क्रिश्चियन।
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