
काबुल. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में मंगलवार सुबह(4 अक्टूबर) सिख गुरुद्वारे कर्ते-परवान(Kart-e-Parwan) इलाके में बम ब्लास्ट की खबर है। बता दें इससे पहले जून में गुरुद्वारे में कई ब्लास्ट हुए थे। इस हमले में गार्ड सहित 2 अफगानी नागरिक मारे गए थे। यहां रहने वाले सिख समुदाय के नेताओं का अनुमान है कि तालिबान शासित देश में अब 100 के करीब ही सिख रह गए हैं, जिनमें से ज्यादातर पूर्वी शहर जलालाबाद और राजधानी काबुल में हैं।
ISI एक्टिव है इन इलाकों मे
खुरासान प्रांत में इस्लामिक स्टेट के नाम से कुख्यात आतंकवादी ग्रुप देश भर में मस्जिदों और अल्पसंख्यकों पर हमलों की जिम्मेदारी लेता आया है। कर्ते-परवान गुरुद्वारे में जून में हुए में सिलसिलेवार ब्लास्ट के बाद से यहां रहने वाले सिख डरे हुए हैं। क्लिक करके पढ़ें
इससे पहले मार्च 2020 में, कम से कम 25 पुजारी(worshippers) मारे गए थे और 8 अन्य घायल हुए थे, जब भारी हथियारों से लैस आत्मघाती हमलावर(suicide bomber) ने काबुल के सेंटर में स्थित एक प्रमुख गुरुद्वारे पर हमला किया था। यह देश में अल्पसंख्यक सिख समुदाय पर सबसे घातक हमलों में से एक था। शोर बाजार इलाके में हुए इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट आतंकी समूह ने ली थी।
30 सितंबर को एजुकेशन सेंटर पर हुआ था अटैक
इससे पहले 30 सितंबर को काबुल में एक एजुकेशन इंस्टीट्यूट पर आत्मघाती हमलावर(suicide bomber struck) ने हमला किया था, जिसमें कम से कम 19 लोग मारे गए थे। हालांकि अफगानिस्तान के एक जर्नलिस्ट बिलाल सरवरी ने हमले में 100 स्टूडेंट्स की मौत होने का दावा किया था। सरवरी का कहना है कि तालिबान ने हॉस्पिटल के मालिक को धमकाया है कि वो कोई भी जानकारी मीडिया को लीक न करें। यह हमला शिया मुसलमानों; खासकर अफगानिस्तान की हज़ारा(Hazara) कम्युनिटी पर किया गया था। ISKP (इस्लामिक स्टेट खोरासान ग्रुप) लगातार शिया इन्हें टार्गेट कर रहा है। हज़ारा मध्य अफगानिस्तान में बसने वाला और दरी फ़ारसी की हज़ारगी उपभाषा बोलने वाला एक समुदाय है। यह लगभग सारे शिया इस्लाम के अनुयायी होते हैं। ये अफगानिस्तान का तीसरा सबसे बड़ा समुदाय हैं। क्लिक करके पढ़ें
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