आतंकी हमलों में गिरावट, मगर अभी 'खतरे से बाहर नहीं' है पाकिस्तान; स्टडी

पाकिस्तान में बीते दशक में आतंकवादी हमलों में 85 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है जो देश के लिए एक स्वागत योग्य आंकड़ा है। हालांकि आतंकवाद के वित्तपोषण और आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगाने के पाकिस्तान के प्रयासों पर अंतरराष्ट्रीय चिंता और भविष्य में पड़ोसी अफगानिस्तान के साथ शांति समझौते को लेकर जोखिम बना हुआ है।
 

Asianet News Hindi | Published : Jan 30, 2020 2:14 PM IST / Updated: Jan 30 2020, 07:46 PM IST

गुजरांवाला (पाकिस्तान).पाकिस्तान में बीते दशक में आतंकवादी हमलों में 85 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है जो देश के लिए एक स्वागत योग्य आंकड़ा है। हालांकि आतंकवाद के वित्तपोषण और आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगाने के पाकिस्तान के प्रयासों पर अंतरराष्ट्रीय चिंता और भविष्य में पड़ोसी अफगानिस्तान के साथ शांति समझौते को लेकर जोखिम बना हुआ है।

पाकिस्तान के थिंक टैंकों ने एकत्र किया है आंकड़ा

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पाकिस्तान थिंक टैंकों ने मिलकर यह आंकड़ा एकत्रित किया है। उन्होंने पाया कि 2009 में आतंकवादी हमलों का आंकड़ा करीब 2,000 से 2019 में गिरकर 250 हो गया जो बेहद तेज गिरावट है और आतंकवादी हमलों के खिलाफ लंबी लड़ाई को दिखाता है। हालांकि पेरिस स्थित अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था ने अक्टूबर में कहा था कि पाकिस्तान आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहा है। यह समूह पाकिस्तान को ‘‘ग्रे’’ सूची से ईरान और उत्तर कोरिया के साथ ‘‘काली’’ सूची में डालने पर विचार के लिए अगले महीने बैठक करेगा। यह कदम पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए खतरा हो सकता है।

पाकिस्तान के आतंकवादी समूहों का संबंध अक्सर अफगानिस्तान में सीमा पार के समूहों से जोड़ा जाता है। इसलिए आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगाने में इसकी प्रगति ऐसे समय में अहम हो जाती है जब विशेषकर अमेरिका अफगानिस्तान में तालिबान के साथ अपनी 18 साल पुरानी लड़ाई को खत्म करना चाहता है।

हालांकि पाकिस्तान अभी भी खतरे से बाहर नहीं..

अमेरिका स्थित विल्सन सेंटर में एशिया प्रोग्राम के उप निदेशक माइकल कुगेलमैन ने कहा, ‘‘आतंकवादी हिंसा के मामलों में तेज गिरावट 2014 में नजर आनी शुरू हुई थी जो काफी उल्लेखनीय है।’’ हालांकि उन्होंने चेतावनी दी, ‘‘पाकिस्तान अभी खतरे से बाहर नहीं है। आतंकवाद के मद में धन मुहैया कराने वालों की निगरानी करने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पिछले साल कहा था कि पाकिस्तान ने आतंकवाद को धन मुहैया कराने और धन शोधन पर रोकथाम के 40 उपायों की सूची में से सिर्फ एक को पूरी तरह से लागू किया है। अन्य 39 उपायों को इससे पहले आंशिक रूप से लागू किया गया था या कुछ मामलों में उन्हें बिल्कुल नजरअंदाज किया गया था।’’

पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय संस्था (FTF) कर सकती है ब्लैक लिस्ट

अगर पाकिस्तान को काली सूची में डाला जाता है तो हर वित्तीय लेन देन पर कड़ी नजर रखी जाएगी और देश के साथ कारोबार करना महंगा एवं जटिल हो जाएगा। पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा कि वे एफएटीएफ की मांगों के अनुरूप काम करने की कोशिश कर रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि फरवरी में पेरिस में होने वाली अहम बैठक में उन्हें काली सूची में नहीं डाला जाएगा। इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने देश को ‘‘काली सूची’’ में डालने से बचाने के लिए एफएटीएफ के क्षेत्रीय सहयोगी के साथ एक बैठक की थी।

पाकिस्तान का दावा आतंकियो से लड़ने में नाटो से ज्यादा उनके सैनिक हुए हताहत 

पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता के सबूत के तौर पर दावा किया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में 2001 की शुरुआत से उसके 4,000 से अधिक सैनिक हताहत हुए जो अमेरिका और नाटो के हताहत सैनिकों की संख्या से भी अधिक है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने दक्षिणी पंजाब प्रांत में इस महीने की शुरुआत में एक गुरुद्वारे पर कई हमलों की घटना के बाद आतंकवादियों के खिलाफ ‘‘बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने’’ की नीति अपनाने का वादा किया था। फिर भी आतंकवादी समूहों और ऐसी विचारधारा वाले संगठनों एवं व्यक्तियों के लिए पाकिस्तान एक पनाहगाह समझा जाता है।

पिछले साल कश्मीर में हमले के बाद पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा पर लगाया था प्रतिबंध

पाकिस्तान स्थित संगठन लश्कर-ए-तैयबा या जैश-ए-मोहम्मद जिन्होंने पिछले साल कश्मीर में हमले की जिम्मेदारी ली, को प्रतिबंधित किया गया है। पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों में कमी से संबंधित इन आंकड़ों पर रिपोर्ट जारी करने वाले समूहों में इस्लामाबाद का पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्ट्डीज भी शामिल है। इसके कार्यकारी निदेशक आमिर राणा ने कहा कि इन आंकड़ों में गिरावट आतंकवाद और इसकी साजिश रचने वालों के खिलाफ लंबी लड़ाई के संकेत हैं।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(फाइल फोटो )

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